
जालंधर, पंजाब. कहते हैं कि हौसलाें से बड़ा कुछ नहीं होता। जिनके पास हौसला होता है, वे शारीरिक रूप से कम होते हुए भी वो कर दिखाते हैं, जो सक्षम लोग नहीं कर पाते। यह कहानी भी ऐसे ही 21 साल के युवा की है, जिसके दोनों पैर नहीं है। आज यह युवा जैवलिन थ्रो(भाला फेंक) का ख्यात खिलाड़ी है। यह पहले हॉकी खेलता था, लेकिन जब पैर नहीं रहे..तो इस जैवलिन थ्रो में एक मुकाम बनाया।
कोई ट्रेक से उठाने की हिम्मत नहीं कर सका
आकाश मेहरा। 2012 में जालंधर में एक ट्रेन हादसे में इनके दोनों पैर कट गए। बेटे की हालत देखकर मां का कलेजा फट पड़ा। उसने गिड़गिड़ाते हुए कहा कि बेटे को जहर का इंजेक्शन दे दो, क्योंकि वो सारी जिंदगी कैसे जीएगा? लेकिन आज इस बेटे ने मां की वो बात गलत साबित कर दी। अब मां को बेटे पर गर्व है। बताते हैं कि हादसे के बाद आकाश की हालत देखकर वहां मौजूद लोग कांप उठे थे। वे उसे रेलवे ट्रैक से उठाने की हिम्मत तक नहीं कर सके। बाद में पुलिस के पहुंचने पर उसे मदद मिली। आज आकाश नकली पैरों के जरिये खेल में कमाल कर रहे हैं। वे एशियाई पैरा ओलंपिक के चैम्पियन हैं। अब वे 2021 में होने वाले पैरा ओलंपिक की तैयारी कर रहे हैं।
गुजरात में ले रहे ट्रेनिंग
आकाश भारतीय खेल प्राधिकरण के गुजरात सेंटर में ट्रेनिंग ले रहे हैं। हालांकि लॉकडाउन के चलते अभी जालंधर में ही प्रैक्टिस कर रहे हैं। साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले आकाश को इस खेल में लाने का श्रेय पंजाब पुलिस में पैरा एथलीट परविंदर सिंह को जाता है। उनकी प्रेरणा से ही 2017 में आकाश ने खेल में कमबैक किया। आकाश ने राज्य स्तरीय टूर्नामेंटों में दो स्वर्ण पदक जीते थे। वहीं, नेशनल सीनियर पैरा-एथलेटिक चैंपियनशिप 2017 में रजत। इसके अलावा एशिया यूथ पैरा गेम्स 2018 में भी रजत जीता था।
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