अग्निपथ बवाल: देश के बॉर्डर पर हजारों से ज्यादा सैनिक देने वाले राजस्थान पर सेना भर्ती के नाम पर लगा कलंक

राजस्थान में सरकार की आर्मी के लिए लागू की गई अग्निपथ योजना का लगातार विरोध हो रहा है। जिसके कारण प्रदेश में उपद्रवियों ने काफी उत्पात मचाया। अब इसमें लोगों ने उपद्रवियों को भर्ती में अपात्र करने की मांग की है..

Sanjay Chaturvedi | Published : Jun 18, 2022 2:38 PM IST / Updated: Jun 18 2022, 09:04 PM IST

सीकर (sikar). देश की रक्षा के लिए सरहदों पर सबसे ज्यादा सैनिक व शहादत राजस्थान में शेखावाटी अंचल (नागौर, सीकर, झुंझुनूं व चूरू) देता है। जहां के 50 हजार से ज्यादा सैनिक अब भी देश के अलग अलग कोनों में राष्ट्र की रक्षा में तत्पर खड़े हैं। जबकि 760 से ज्यादा सैनिक देश के नाम अपनी जान कुर्बान कर राजस्थान में सबसे ज्यादा शहादत का अनूठा रिकॉर्ड रखते हैं। उसी शेखावाटी के सीकर जिले के श्रीमाधोपुर व नीमकाथाना में हुए सेना भर्ती के नाम पर हुए बवाल को हर कोई दुर्भाग्यपूर्ण व शेखावाटी की शान के खिलाफ बता रहा है। हर कोई ये मांग कर रहा है कि आमजन की जान व माल को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों की पहचान कर उन्हें सेना सहित अन्य सभी भर्तियों के अयोग्य करार देते हुए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। 

45 फीसदी शहादत शेखावाटी की

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देश सेवा में शेखावाटी के योगदान को आंकड़ों से समझा जा सकता है। आंकड़ों के अनुसार देश की सुरक्षा से जुड़े विभिन्न ऑपरेशन्स में कुर्बान होने वाले राज्य के 45 फीसदी सैनिक शेखावाटी के हैं। 1999 के करगिल युद्ध के बाद के आंकड़े देखें तो प्रदेश के करीब 1675 से ज्यादा शहीदों में सीकर, चूरू और झुंझुनूं के 775 से ज्यादा सैनिक शामिल रहे हैं।

हर युद्ध और ऑपरेशन में योगदान

शेखावाटी के जाबांजों की दोनों विश्व युद्ध से लेकर स्वतंत्रता आंदोलन व इसके बाद के सभी ऑपरेशन्स में भागीदारी रही है। फिर बात चाहे भारत चीन और भारत पाकिस्तान युद्ध से लेकर 1999 के करगिल विजय, संसद पर हमले, ऑपरेशन पवन, ऑपरेशन ब्लू स्आर, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन रक्षक, ऑपरेशन विजय, मिलिटेंट एक्शन, ऑपरेशन पराक्रम, काउंटर इमरजेंसी, ऑपरेशन फॉल्कोन और विभिन्न विभिन्न नक्सली और आतंकी ऑपरेशन्स की हो। सबमें यहां के जवानों ने दुश्मनों को धूल चटाई है। 

राजस्थान में हुए विरोध में लोगों ने ये कहा 

एयरफोर्स के सेवानिवृत कर्मचारी इंद्रचंद माथुर ने कहा कि सैनिक अनुशासन का प्रतीक है जबकि उपद्रवी अनुशासनहीनता का। ऐसे उपद्रवियों को सेना में जाने का कोई अधिकार नहीं है। उनकी पहचान कर सेना सहित हर भर्ती के लिए उन्हें अयोग्य करार देना चाहिए।

तो वही एक बैंककर्मी सुमित सिंह पंवार ने कहा कि सैनिकों की धरती शेखावाटी पर सेना भर्ती के नाम पर उपद्रव ने कलंक लगा दिया है। आमजन के जान माल को नुकसान पहुंचाने वालों से देश सेवा की अपेक्षा नहीं की जा सकती। ऐसे लोगों की जगह सरहद नहीं सलाखों के पीछे होनी चाहिए।


 

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