
नई दिल्ली. सहारा डेवलपर्स को सेवा अभाव का दोषी पाते हुए शीर्ष उपभोक्ता आयोग एनसीडीआरसी ने उन्हें निर्देश दिया है कि वह एक खरीददार को मानसिक यंत्रणा और वित्तीय क्षति के लिए दो लाख रुपये का मुआवजा दे। मुआवजा के साथ-साथ आयोग ने कहा कि मकान देने में 10 साल की देरी के लिए 4.06 लाख रुपये वापस भी दे। मुआवजा और धन वापसी के अलावा एनसीडीआरसी ने सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड को अलवर की रहने वाली तपस्या पलावत को 4.06 लाख रुपये की राशि पर 10 फीसदी ब्याज भी देने को कहा है।
मुकदमे का खर्चा भी मिलेगा वापस
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) ने डेवलपर्स को पलावत को मुकदमे का खर्चा भी 25,000 रुपये देने को कहा है। पलावत ने 10 फरवरी, 2006 को सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड में एक फ्लैट बुक कराया था और 4.06 लाख रुपये की राशि जमा की थी।
2009 में रद्द हुआ था आवंटन
महिला की शिकायत के मुताबिक उन्होंने घर हासिल करने के लिए लगातार डेवलपर्स से बातचीत की और उन्हें आश्वासन मिलता रहा कि उनका मकान बन रहा है। अगस्त, 2009 में उन्हें घर आवंटित किया गया लेकिन वह इस दौरान बीमार पड़ गईं और ठीक होने के बाद उसने कहा गया कि उनका आवंटन रद्द कर दिया गया है। पलावत ने बाकी राशि अदा करने की इच्छा भी जताई ताकि उन्हें घर मिल सके लेकिन डेवलपर ने वह भी मना कर दिया। राजस्थान उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग ने भी महिला को एक लाख रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिया है।
(नोट- यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
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