
भरतपुर (राजस्थान). कहते हैं जब इंसान की जिंदगी में दुखों का पहाड़ टूटता है, तो उसे ना चाहकर भी बेईमानी का रास्ता चुनना पड़ता है। एक बेबस पिता की दर्दभरी कहानी राजस्थान के भरतपुर में देखने को मिली है। जहां उसने मजबूर होकर अपने दिव्यांग बेटे के लिए एक साइकिल की चोरी की।
मजबूर बाप ने बेटे के लिए की चोरी
दरअसल, इस बेबस पिता का नाम मोहम्मद इकबाल है, 1100 किलोमीटर दूर घर बरेली (यूपी) के लिए साइकिल से रवाना हुआ है। उसका एक बेटा दिव्यांग है जो चल नहीं सकता है, इसलिए उसने मजबूरी में एक साइकिल चुरा ली। जिससे की वह इस पर अपने बेटे को बैठाकर घर तक का सफर तय कर सके।
मैं कसूरवार, माफ कर देना...
इकबाल ने चोरी करने के बाद साइकिल मालिक के लिए एक चिट्टी छोड़कर रख आया। जब सुबह मालिक साहब सिंह अपने बरामदे में गया तो उसे साइकिल नहीं दिखी। वह गुस्से में आग बाबूला हो गया। लेकिन जैसे ही उसने वहां पर रखी एक चिट्टी पढ़ी तो वह रो पड़ा। चिट्टी में लिखा था-मैं आपका कसूरवार हूं साहब, हो सके तो मुझे माफ कर देना। मैंने साइकिल चुराई है। मेरा एक बेटा चल नहीं सकता, वो दिव्यांग है। मुझे 1100 किलोमीटर दूर पैदल जाना है। इसलिए मैंने मजबूरी में ऐसा किया है।
चिट्ठी पढ़ते ही साइकिल मालिक की आंखों में आ गए आंसू
मालिक ने कहा-जब मेरी साइकिल नहीं दिखी तो में बहुत गुस्से में था, लेकिन युवक का दर्द जानकर मेरी आंखे भर आईं। मुझे मेरी साइकिल चोरी होने का अब कोई दुख नहीं है। कम से कम वह किसी जरुरतमंद के काम तो आई। इकबाल इतना ईमानदार था कि उसने साइकिल के अलावा और कुछ कीमती सामना को हाथ भी नहीं लगाया।
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