
भरतपुर (राजस्थान). जम्मू-कश्मीर के शोपियां में आतंकियों की गोली-बारी में मारे गए भरतपुर के ट्रक ड्राइवर शरीफ खान को दो दिन हो चुके हैं। पूरे शहर में सन्नाटा पसरा हुआ है। लेकिन उसकी 9 साल की मासूम बेटी बुसरा को अभी भी अपने अब्बू के लौटने का इंतजार है। वह बार-बार कहती है, पापा मुझे सेब लेकर आएंगे। मासूम को ये भी नहीं पता कि उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे।
बेटी ने कहा था-अब्बू मेरे लिए सेब लेकर आना
दरअसल, हत्या से कुछ देर पहले ही शरीफ खान की फोन पर बेटी बुसरा से बात हुई थी, तो बेटी ने कहा था अब्बू मेरे लिए आप सेब जरुर लेकर आना। पिता ने भी अपनी बेटी से कहा था- हां बेटा में कशमीर आ गया हूं और तेरे लिए सेब लेक ही आऊंगा। लेकिन उसे क्या पता था कि वह अब कभी अपने घर वापस नहीं जा पाएगा।
50 लाख की सहायता की मांग
शरीफ घर का मुखिया था, उसके काम धंधे से पूरे परिवार का खर्च चलता था। वह ड्राइवरी करता था। उसके जाने के बाद घर में कोई कमाने वाल तक नहीं बचा है। गरीबी की वजह से उसकी 15 साल की बेटी तस्लीमा ने 8वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी। शरीफ की तीन बेटियां हैं दूसरी मुस्कान 12 साल की है जो चौथी कक्षा में है और वहीं सबसे छोटी बेटी बुसरा दूसरी में पढ़ती है।
सरकार के सामने परिजन ने रखी पांच मांग
मृतक का शव बुधवार सुबह उसके पैतृक गांव उभाका पहंचा, लेकिन गांववालों ने शरीफ का शव लेने से इनकार कर दिया। परिजनों ने प्रशासन के सामने अपनी 5 मांगें रखी हैं। उन्होंने एंबुलेंस को रोकते परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, 50 लाख के मुआवजे के साथ शरीफ को शहीद का दर्जा देने की मांग की है। उन्होंने कहा जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होंगी तब तक हम अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।
ये है पूरा मामला
दरअसल, शरीफ खान हरियाणा के एक ट्रांसपोर्ट में ट्रक ड्राइवर का काम करता था। सोमवार को वह कश्मीर के शोपियां जिले के सिंधु श्रीमल गांव में सेब को ट्रक में भर रहा था। उसी दौरान आंतकियों ने शरीफ को गोली मारकर उसकी हत्या कर दी थी। वहीं इस मामले में शोपियां के एसएसपी संदीप चौधरी ने बताया कि हमने शरीफ खान को बचाने की कोशिश की थी लेकिन वह नहीं बच सका। उन्होंने कहा कि इस घटना को जैश-ए-मोहम्मद या हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने अंजाम दिया है।
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