
जयपुर. हाल ही में जेईई का परिणाम सामने आया है। परिणाम के बाद राजस्थान से बेहद चौकाने वाली खबर सामने आई है। जयपुर शहर के एक किशोर ने जेईई एडवांस में टॉप करने की कहकर 3 दिन तक मीडिया और स्कूल मैनेजमेंट की अटेंशन पाई, लेकिन जब उसकी मार्कशीट का मिलान किया गया तो पता चला इस नाम का तो कोई छात्र पूरी लिस्ट में ही नहीं है। बाद में जब स्कूल मैनेजमेंट और मीडिया ने उससे सख्ती से पूछताछ की तब जाकर राज खुलकर सामने आया। पता चला उसने तो परीक्षा दी ही नहीं वह फर्जी मार्कशीट बनवा कर पहले स्कूल आया और बाद में स्कूल वालों ने बड़े मीडिया हाउसेज में इस खबर का प्रकाशन करवाया। अब मीडिया हाउस के साथ-साथ स्कूल प्रबंधन भी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे है। किशोर की उम्र 18 वर्ष से कम है इसलिए उसका नाम और पहचान जारी नहीं की गई है ।
परिवार तक को नहीं थी जानकारी बाद में स्कूल ने माफी मांगी
दरअसल करीब 17 साल का छात्र खुद को ऑल इंडिया में 23 वी रैंक बता रहा था । उसने परिवार को भी यह सूचना भेजी थी । उसने मीडिया और स्कूल मैनेजमेंट को बताया कि उसने सेल्फ स्टडी की और एग्जाम टॉप कर लिया। शहर के टॉप 3 में शामिल विद्याश्रम स्कूल का यह छात्र जब स्कूल पहुंचा और प्रिंसिपल प्रतिमा शर्मा को इसकी जानकारी दी तो प्रिंसिपल और मैनेजमेंट की बांछें खिल गई । उन्होंने तुरंत मीडिया को इसकी सूचना दी । मीडिया की टीम वहां पहुंची और छात्र का इंटरव्यू किया। उसने बताया कि वह 23 वी रैंक पर है। उसने अपनी मार्कशीट और अन्य दस्तावेज भी दिखाए। स्कूल की तरफ से जारी किए गए इन तमाम दस्तावेज को मीडिया ने सही माना और उसका प्रकाशन भी उचित तरीके से किया । लेकिन अगले ही दिन यानी मंगलवार शाम तक पता लग गया कि वह छात्र फर्जी निकला। उसके परिजनों ने स्कूल मैनेजमेंट से माफी मांगी और स्कूल मैनेजमेंट ने मीडिया को माफीनामा भेजा।
पढ़ाई के नाम पर मात-पिता से लिया पैसा, फिर बना दी फर्जी मार्कशीट
प्रिंसिपल प्रतिमा शर्मा ने बताया कि जिस छात्र की बात की जा रही है उसने खुद को टॉप 25 में बताया । प्रिंसिपल ने बताया कि जिस छात्र की जेईई मेंस में तीन लाख 45 हजार के करीब रैंक थी, वह एडवांस जेइइ में एलिजिबल ही नहीं था । उसने मार्कशीट में बदलाव किए और अन्य दस्तावेज भी फर्जी बनाएं। प्रिंसिपल का कहना है कि उसके परिजन भी इस बात से अनजान है। उसने पढ़ाई के नाम पर घर से पैसा भी लिया है ।
बच्चे का लैपटॉप और अन्य दस्तावेज जप्त किए गए
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर मनोचिकित्सक अनिल तांबी का कहना है कि परिवार को अपने बच्चों पर दबाव नहीं बनाना चाहिए। असफलता हैंडल करना बच्चों को सिखाना चाहिए। असफलता पर डांट फटकार की जगह उचित तरीके से उन्हें समझाना चाहिए। उधर स्कूल प्रबंधन ने बच्चे का लैपटॉप और अन्य दस्तावेज जप्त कर लिए हैं। बच्चे के परिजनों द्वारा माफी मांगने पर फिलहाल कानूनी कार्यवाही नहीं की जा रही है ।
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