10 दिन बाद जैसे-तैसे गांव लौटी बेटी, लेकिन पिता के डर से घर नहीं गई, पुलिस अंकल को बताई आपबीती

यह मामला 15 साल की एक ऐसी लड़की से जुड़ा है, जिसके सपने बड़े थे। लेकिन गरीबी के चलते पिता ने उसे 15000 रुपए महीने के लालच में गुजरात की एक फैमिली के घर पर काम पर लगा दिया। 5वीं तक पढ़ी यह लड़की दिनभर घर का कामकाज करती। लेकिन एक दिन वो वहां से भाग आई। लेकिन गांव लौटकर घर नहीं गई। क्योंकि उसे मालूम था कि पिता फिर से वहीं भेज देगा। इसलिए वो पहले पुलिस के पास गई। वहां अपनी आपबीती सुनाई।
 

Asianet News Hindi | Published : Jun 15, 2020 5:49 AM IST / Updated: Jun 15 2020, 11:25 AM IST

डूंगरपुर, राजस्थान. इसे पैसों का लालच भी कह सकते हैं और गरीबी के हालात भी। एक पिता ने अपनी बेटी को घर से दूर एक घर में कामकाज पर लगवा दिया। लेकिन लड़की पढ़ना चाहती थी। उसे गुलाम बनकर रहना पसंद नहीं था। लिहाजा, वो वहां से भाग निकली। गांव पहुंची..लेकिन पिता के डर से घर नहीं आई, बल्कि थाने पहुंची। वहां उसने पुलिस अंकल को बताई अपनी आपबीती। बता दें कि गरीबी के चलते पिता ने उसे 5000 रुपए महीने के लालच में गुजरात की एक फैमिली के घर पर काम पर लगा दिया। जानिए पूरी कहानी...

मामला डूंगरपुर जिले के रामसागड़ा थाना क्षेत्र के धमलात गांव का है। यहां रहने वाली 15 साल की नाबालिग को एक जून को उसके पिता ने 5000 रुपए महीने के बांड पर गुजरात के ए​क व्यक्ति के घर नौकरानी बनवा दिया। लेकिन 10 दिनों बाद लड़की वहां से भागकर गांव आई। फिर रामसागड़ा पुलिस के पास पहुंचकर बोली कि उसे पढ़ना है। घरवालों को समझाए कि उसे काम पर न भेजें। पुलिस ने लड़की को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया। समिति और पुलिस ने लड़की के पिता को समझाइश दी। 


पढ़ना चाहती है लड़की..
लड़की ने बताया कि वो अकेले टैंपों में बैठकर अपने गांव पहुंची थी। उसने 5वीं तक पढ़ाई की है। लेकिन 2-3 साल पहले पढ़ाई छोड़नी पड़ी। लेकिन अब वो दुबारा पढ़ना चाहती है। लड़की की मां बीमार रहती है। पिता मजदूरी करता है। लड़की के 4 भाई हैं। हालांकि अब पिता ने कहा कि वो अपनी बेटी को आगे पढ़ने से नहीं रोकेगा। रामसागड़ा थाने के प्रभारी अरुण कुमार खांट ने बताया कि लड़की से काम कराने वाले के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

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