सीकर के युवराज और नेपाल की रानी की गजब दोस्ती: एक की मौत तो दूसरा समाधि पर ही रहने लगा...प्रकाश स्तंभ है गवाह

पूरी दुनिया में अगस्त महीने के पहले संडे को फ्रेंडशिप डे मनाया जा रहा है। इसी खास मौके पर हम आपको सीकर राजा हरदयाल सिंह और नेपाल के मंत्री की बेटी की दोस्ती के बारे में जानिए। जिनकीदोस्ती प्यार में बदल गई और शादी कर ली। लेकिन दो साल बाद ही दोनों बिछड़ गए।

सीकर. दोस्ती एक खूबसूरत अहसास है। जिसकी जरुरत इंसान को हर मोड़ व मुकाम पर होती है। इतिहास में ऐसी कई दोस्ती अमर हो गई जो जो प्रेम और समर्पण से भरी थी। ऐसी ही एक दोस्ती राजस्थान की सीकर रियासत के अंतिम शासक राव राजा कल्याण सिंह के बेटे हरदयाल सिंह ने भी नेपाल के मंत्री की बेटी से की थी। जो बाद में प्रेम से लेकर विवाह तक में परिणत हुई। पर कुछ समय बाद ही जब राजकुमारी का निधन हो गया तो हरदयाल सिंह उस सदमे को सह नहीं पाए। अपनी दोस्त समान पत्नी के लिए वह उनकी छतरी अंत्येष्टि स्थल के पास ही बैठे रहने लगे। मौत् के बाद भी राजकुमारी को अंधेरा ना सताए इसके लिए उन्होंने वहां एक प्रकाश स्तंभ भी लगाया। जो आज भी उनके प्रेम की निशानी बना हुआ है।

यूं शुरू हुई दोस्ती
युवराज हरदयाल सिंह 1921 में जन्में थे। अजमेर की मेयो कॉलेज में अंग्रेजी कल्चर में पले पढ़े युवराज एक बार नीलगिरी, मसूरी व देहरादून घूमने गए थे। जहां इतिहासकारों के अनुसार नेपाल के मंत्री राणा जंग बहादुर की बेटी आद्या कुमारी भी आई हुई थी। जहां दोनों की मुलाकात हुई। मुलाकात आगे दोस्ती और दोस्ती प्यार में बदल गई। जिसके बाद 8 फरवरी 1942 में लखनउ के चंद्र भवन में दोनों का विवाह हो गया।

Latest Videos

दो साल ही रहा साथ
युवराज हरदयाल सिंह के साथ आद्या कुमारी का साथ दो साल ही रहा। 1944 में बीमारी से उनकी मौत हो गई। जिनका अंतिम संस्कार वर्तमान दीवान मार्केट स्थित राजघराने के अंत्येष्टि स्थत पर हुआ। इतिहासकार महावीर पुरोहित के अनुसार युवरानी की मौत पर युवराज हरदयाल काफी टूट गए। वह उनकी समाधि पर ही लंबा समय बिताने लगे। इसी बीच जब शाम को अंधेरा होतो तो वह उन्हें बर्दाश्त नहीं होता। राजकुमारी को अंधेरे से दूर रखने के लिए उन्होंने उनकी समाधि के पास एक प्रकाश स्तंभ लगवा दिया। जो आज भी उनके प्रेम की निशानी बना हुआ है। पुरोहित बताते हैं कि आद्याकुमारी के नाम से ही बाद में राव राजा कल्याण सिंह ने स्टेशन रोड पर गुलाबचंद सागरमल सोमाणी के सौजन्य से जनाना अस्पताल का निर्माण भी कराया था। जो आज भी अपनी सेवाएं दे रहा है।

पति को सिखाए थे संस्कार
इतिहासकारों के मुताबिक आद्याकुमारी धार्मिक प्रवृति की थी। जिसके चलते उन्हें सीकर की मीरा बाई भी कहा जाने लगा था। अपने धार्मिक जीवन के चलते ही उन्होंने युवराज की शराब पीने की आदत छुड़वा कर उन्हें रोजाना सुबह माता पिता के पैर छूना सिखा दिया था। उनकी मौत के बाद युवराज की दूसरी शादी नेपाल सम्राट त्रिभुवन की बेटी त्रैलोक्य राजलक्ष्मी से 25 फरवरी 1948 में काठमांडु में हुई थी।
 

Share this article
click me!

Latest Videos

पहले गई सीरिया की सत्ता, अब पत्नी छोड़ रही Bashar Al Assad का साथ, जानें क्यों है नाराज । Syria News
Delhi Election 2025 से पहले Kejriwal ने दिया BJP की साजिश का एक और सबूत #Shorts
समंदर किनारे खड़ी थी एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा, पति जहीर का कारनामा हो गया वायरल #Shorts
राजस्थान में बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी । Kotputli Borewell News । Chetna
Devendra Fadnavis के लिए आया नया सिरदर्द! अब यहां भिड़ गए Eknath Shinde और Ajit Pawar