भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया आज 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी का जन्मदिन यानि जयंती मना रहा है। सभी जानते हैं कि मोहनदास करमचंद गांधी उनका पूरा नाम है। कोई उन्हें राष्ट्रपिता कहता है कोई उन्हें बापू कहता है लेकिन, हम आपको बता रहे हैं कि महात्मा गांधी को बापू नाम किसने दिया।
सीकर. महात्मा गांधी का जन्मदिन आज पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। देश में भी सर्व धर्म सभाओं सहित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इस बीच हम आपको महात्मा गांधी के बापू नाम के नामकरण से जुड़े किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बहुत कम लोगों को पता है। ये तो सब जानते हैं कि उन्हें महात्मा की उपाधि रविन्द्र नाथ टैगोर व राष्ट्रपिता की उपाधि सुभाष चंद्र बोस ने दी थी, पर शायद ही कोई जानता है कि उन्हें बापू की संज्ञा राजस्थान के सीकर जिले के लाल और प्रसिद्ध उद्योग पति जमनालाल बजाज ने दिया था। जो गांधीजी के दत्तक पुत्र कहलाते थे। इतिहासकारों की मानें तो उन्होंने गांधीजी को पिता के रूप में गोद लेकर सबसे पहले बापू कहा था। जिसके बाद ही लोग उन्हें बापू कहकर पुकारने लगे।
नागपुर अधिवेशन में बजाज ने लिया था 'बापू' गोद
इतिहासकार महावीर पुरोहित के अनुसार यूं तो पिता द्वारा बेटे को गोद लेने की प्रथा है, लेकिन जमनालाल बजाज ने महात्मा गांधी को पिता के रूप में गोद लिया था। इसका प्रस्ताव उन्होंने कांग्रेस के 1920 के नागपुर अधिवेशन में गांधीजी के सामने रखा था। जिसमें उन्होंने कहा था कि जिसके पुत्र नहीं होता वह तो पुत्र गोद ले लेता है, लेकिन मेरे तो पिता नहीं है इसलिए मैं आपको पिता के रूप में गोद लेना चाहता हूं। यह प्रस्ताव सुन गांधीजी एक बार तो सकपका गए। पर बाद में सबका समर्थन मिलने पर गांधीजी ने हंसते हुए प्रस्ताव का स्वीकार कर लिया था। कहते हैं कि तभी जमनालाल बजाज ने गांधी जी को बापू कहा था। जिसके बाद अन्य लोग भी उन्हें बापू कहने लगे। मुंबई से जमनालाल बजाज की जीवनी पर प्रकाशित शोभालाल गुप्त की 'जन्मभूमि से बंधा मन (जमनालाल बजाज व राजस्थान)' भी इसका उल्लेख है। जिसमें लिखा है कि 1920 के नागपुर कांग्रेस अधिवेशन से जमनालाल बजाज ने खुद को गांधीजी के पांचवे पुत्र के रूप में समर्पित कर दिया था।
काशी का बास में जन्मे थे उद्योगपति जमनालाल बजाज
गांधीजी को सबसे पहले बापू कहने वाले जमनालाल बजाज का जन्म सीकर जिले के काशी का बास गांव में हुआ था। उनके पिता का कनीराम व मां का नाम बिरदी बाई था। बाद में वर्धा के सेठ बच्छराज ने उन्हें गोद ले लिया था। प्रदेश के प्रजामंडल आंदोलन सहित वह गांधीजी के कई आंदोलनों का हिस्सा रहे। काशी बास में उनकी आज भी वो हवेली मौजूद है जिसमें उनका जन्म हुआ था। जमनालाल बजाज ट्रस्ट आज भी गांव में कई विकास कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाता है।