350 साल पुराने श्रीजी मंदिर में हुई गोपाष्टमी, विशेष निमंत्रण में लाई गईं 200 से अधिक गायें

श्रीनाथजी मंदिर महंत के द्वारा वर्षों पुरानी परम्परा को आज भी निभाया जा रहा है। गोवर्धन पूजा के दिन गौ माताओं को मंदिर में आने का विशेष न्योता दिया गया जिसे कान जगाई रस्म के नाम से जाना जाता है।

Ujjwal Singh | Published : Nov 4, 2022 2:56 AM IST

राजसमंद(Rajasthan). राजसमंद जिले के नाथद्वारा में विश्व प्रसिद्ध श्रीनाथजी मंदिर में गोपाष्टमी, गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव बड़े ही धूमधाम मनाया गया। श्रीनाथजी मंदिर में अन्नकूट महोत्सव के चलते देश विदेश से श्रद्धालु पहुंचे जिनकी संख्या करीब एक लाख से ज्यादा रही और इन सभी श्रद्धालुओं ने सुबह से लेकर देर रात का मंदिर के अंदर का महोत्सव का आनंद उठाया। आपको बता दें कि श्रीनाथजी मंदिर महंत के द्वारा वर्षों पुरानी परम्परा को आज भी निभाया जा रहा है। गोवर्धन पूजा के दिन गौ माताओं को मंदिर में आने का विशेष न्योता दिया गया जिसे कान जगाई रस्म के नाम से जाना जाता है। 

परंपरा के मुताबिक गायों के खेलने के लिए कई किलोमीटर तक मिट्रटी बिछाई गई और उसके बाद इन सभी गायों को मंदिर में प्रवेश दिया गया। गायों को मंदिर में प्रवेश देने के साथ ही गोस्वामी चिरंजीवी विशाल बावा के द्वारा भगवान गोवर्धन की विशेष पूजा की गई  और उसके कुछ समय बाद गायों से गुंदने की हाथ जोड़कर प्रार्थना की गई। श्रीनाथजी मंदिर पहुंची गौशाला से लगभग 200 से ज्यादा गायों को मंदिर विशेष निमंत्रण पर लाया जाता है। इन सभी गायों को गौशाला से साल में एक बार बाहर निकाला जाता है। जब इन्हें बाहर लाया जाता है तो ग्वालों द्वारा इन गायों को पूरी से सजाया व महंदी लगाई जाती है, जो कि देखने में काफी सुंदर लगती है। 

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सुरक्षा के विशेष इंतजाम 
मुख्य निष्पादन अधिकारी जितेन्द्र ओझा ने बताया कि संभावित दर्शनार्थियों की भीड़ के मद्देनजर मन्दिर परिसर एवं बाहर के स्थान, जहां पर यात्री दर्शन की प्रतीक्षा में रहते हैं, वहां पर चोरी, जेबकटी, छेड़खानी आदि की घटनाओं को रोकने के लिये पर्याप्त सुरक्षा-प्रहरी, विशेषकर महिला कांस्टेबल का बन्दोबस्त किया गया है। अन्नकूटोत्सव के अवसर पर मन्दिर मार्ग, न्यू कोटेज से चौपाटी एवं चौपाटी से गोविन्द चौक तक परिक्रमा में अस्थाई सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। तो वहीं गोवर्द्धनपूजा एवं कान जगाई के लिये गायों को ले जाने के लिये समुचित बेरिकेडिंग लगाई गई है। तो वहीं आगजनी की घटना से निपटने के लिये नाथद्वारा नगर पालिका आयुक्त कौशल कुमार के निर्देश पर एक फायरब्रिगेड रिसाला चौक के बाहर तथा एक फायरब्रिगेड गणगौर घाट स्थित एलपीजी यार्ड के पास सुरक्षार्थ रखी गई। 

आदिवासियों के लिए विशेष इंतजाम 
सबसे खास अन्नकूट महोत्सव के दौरान वहां प्रसादी लूटने आने वाले आदिवासियों के लिए विशेष इंतजाम किए गए। अन्नकूट के दिन आदिवासियों की आवाजाही हेतु लाल दरवाजा से नक्कारखाना चौक, वनमाली परिसर का क्षेत्र रखा गया है। प्रभु श्रीनाथजी की हवेली में अन्नकूट महोत्सव के चलते अक्षय नवमी के दिवस 350 वर्ष प्राचीन श्रीजी प्रभु की हवेली के सर्वप्रथम स्थापित प्रीतम पोल गेट का अक्षय नवमी पर श्रीजी प्रभु के अन्नकूट महोत्सव के अवसर पर विधि-विधान से वैदिक मंत्रोच्चार एवं स्वस्ति पुण्या वाचन द्वारा विशाल बावा ने दीक्षिता बहू के साथ युगल स्वरूप में रजत कलश लेकर पूजन कर नवीन दरवाजे का शुभारंभ किया। इसके तत्पश्चात अन्नकूट महोत्सव के अवसर पर श्री विट्ठलेश राय प्रभु के श्रीजी प्रभु में पधारने के साथ ही नवीन दरवाजे का औपचारिक रूप से श्रीगणेश  हुआ। 

जोधपुरी पत्थर से निर्मित हैं दरवाजे 
पीतम पोल में नवीन स्थापित दरवाजे के निर्माण की भव्यता में जोधपुरी पत्थर से निर्मित जिसमें मेवाड़ एवं मारवाड़ शैली का मिश्रण है। मुख्य दरवाजे के दोनों और दो बुर्ज बनाए गए हैं,जिनमें नक्काशी दार छतरियां एवं जरोखे हैं जिनमें बारिक जालीदार नक्काशी एवं उन पर बेल बूटे, झाड़, पक्षी, और विभिन्न प्रकार के चित्रांकन उकेरे गए हैं। तो वहीं सबसे अंत में यानि देर रात तक अन्नकूट महोत्सव कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस महोत्सव की सबसे खास बात यह है कि वर्षों पुरानी परम्परा को आज भी मंदिर मंडल द्वारा निभाया जा रहा है। आज के दिन राजसमंद जिले के आदिवासी मंदिर में पहुंचते हैं और अन्नकूट प्रसाद को लूटते हैं। इन आदिवासियों द्वारा प्रसाद लूटने के लिए अपने अपने घर से कपड़े का थेला पीठकर टांगकर लाते हैं तो वहीं मंदिर में रखे टोकरे व मटके में रखे प्रसाद को लूटते हैं। परम्परा के अनुसार ये आदिवासी प्रसाद लूटने के बाद अपने कस्बे में लूटे गए अन्नकूट प्रसाद का वितरण करते हैं। 
 

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