राजनीति से पहले क्या करते थे सचिन पायलट, कितनी नौकरियां बदली...जानिए अमेरिका से दौसा तक का सफर

कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट बुधवार यानि 7 सिंतबर को अपना 45वां जन्मदिन है। 26 साल की उम्र में राजस्थान के दौसा शहर से वह पहली बार सांसद बने थे। उसके बाद पीछे मुडकर नहीं देखा।
 

जयपुर. 72 साल के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सीधा लोहा लेने वाले 45 साल के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलेट का आज जन्मदिन है। आज जन्मदिन पर वे कन्याकुमारी हैं देश के बडे कांग्रेसी नेताओं के साथ। वहां से आज भारत जोड़ो यात्रा शुरु कर दी गई है और यह यात्रा राहुल गांधी शुरु कर रहे है। इस यात्रा के लिए सचिन पायलेट वहां हैं और यहां राजस्थ्ज्ञान में आज भी उनका जन्मदिन मनाया जा रहा है। कल वे जयपुर में थे तो जयपुर में उनका जो जन्मदिन मना उसमें हजारों लोग शामिल हुए वह शक्ति प्रदर्शन से कम नहीं था। ये तो हो गई सचिन पायलेट की वर्तमान की बात... क्या आपको पता है कि भूतकाल में वे क्या करते थे.... ? क्या आप जानते हैं कि उन्होनें नेता बनने से पहले कितनी नौकरियां बदली.....? सब कुछ आपको हम बताते हैं.........

सचिन पायलट के पिता कांग्रेस के दिग्गज नेता थे 
पिता राजेश पायलेट से राजनीति विरासत में पाने वाले सचिन पायलेट गुर्जर नेता हैं। पायलेट सरनेम इसलिए लगाते हैं क्योंकि ये उनके पिता की विरातस है। पिता राजेश ... पायलेट थे। उसके बाद राजनीति में कदम रखा और वहां भी गदर मचा दिया। 26 साल की उम्र में यूपीए से सांसद बनने वाले पायलेट मंत्री और संगठन में अन्य बड़ी जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। उनके पिता कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में एक थे और स्वर्गीय संजय गांधी के बेहद करीबी थे।  

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पिता के मौत के बाद टूट गए थे सचिन...लेकिन फिर मुड़कर नहीं देखा
सचिन ने पिता की हादसे में मौत हो जाने के बाद राजनीति की कुर्सी संभाली थी। उस समय वे महज 25 साल के अल्हड़ मस्तमौला नौजवान थे। एक साक्षात्कार के दौरान उन्होनें कहा था कि मैने कभी नहीं सोचा था कि राजनीति करुंगा, लेकिन जनता ने मुंझे पलकों पर बिठाया है। सचिन के पिता राजेश पायलेट दिल्ली में रहते थे और वहीं पर उनकी दोस्ती संजय गांधी से हुई थी। वहीं पर सचिन की शुरूआती स्कूली शिक्षा हुई थी। स्कूल पूरा करने के बाद सचिन दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज गए थे। 

अमेरिका से लौटर संभाली पिता की राजनीतिक विरासत
दिल्ली से सीधा अमेरिका की उडान पकडी और पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय के व्हॉर्टन स्कूल से एमबीए की डिग्री ली। वहीं कॉलेज पूरा करने के बाद अन्य दोस्तों के साथ मिलकर छोटी मोटी नौकरिंया की। फिर वे भारत आए गए और यहां पर दो मल्टी नेशनल कंपनी में कुछ समय के लिए काम किया। उसके बाद हादसे में पिता की मौत हो जाने के बाद उन्होनें परिवार के बड़ों और सीनियर कांग्रेसी नेताओं के कहने पर पिता की विरासत संभाली। 

26 साल की उम्र में बने थे पहली बार सांसद
ठेट अंग्रेजी बोलने वाला नौजवान सचिन अब देहाती कपड़ों में आ चुका था और पिता का गेटअप लेकर गावों में घुमना शुरु कर दिया था। साल 2002 में पिता के जन्मदिन के मौके पर जब पिता नहीं थे, उस समय सचिन ने विधिवत राजनीति का सफर शुरु किया और उसके बाद पीछे मुडकर नहीं देखा। बेटे में पिता की छवि दिखती थी और बेटे को भी जनता ने हाथों हाथ लिया। दस फरवरी को कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करने के बाद 26 साल की उम्र में 14 वीं लोकसभा के लिए राजस्थान के दौसा शहर से वे सांसद चुने गए। 

सांसद बनते सचिन का नाम पूरे देश में गूंजने लगा
अब सचिन का नाम गूजंने लगा और नेताओं को पता चल गया था कि सचिन नाम का कोई बड़ा और जनता का प्यारा नेता मैदान में आ चुका है। वे सबसे कम उम्र के सांसद थे। इसके बाद वह 2009 के लोकसभा चुनाव में अजमेर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद चुने गए और यूपीए सरकार में राज्य मंत्री बनाए गए। केंद्र सरकार की कई समितियों में वे रहे। लेकिन उसके बाद अजमेर सीट से ही हार का सामना भी करना पडा। उसके बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष उन्हें चुना गया। वर्तमान में वे टोंक से एमएलए हैं।

अब राजस्थान में चल रहा गहलोत वर्सेज पायलट
 2020 में गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत का मोर्चा खोल देने के बाद से अब लगातार उनके समर्थक उन्हें सीएम बनोन की कोशिशें कर रहे हैं लेकिन सीएम गहलोत राजनीति में उनसे दुगनी उम्र रखते हैं। 2020 में वे उप मुख्यमंत्री थे लेकिन बगावत करने के बाद सीएम ने उन्हें इस पद से हटा दिया। गहलोत वर्सेज पायलेट के बीच आगामी दिनों में राजस्थान का सेहरा किसके सिर सजता है...... इस पर राजस्थान के सात करोड़ लोगों की नजर है।

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