राजस्थान उच्च न्यायालय के लिए पहली बार एक दंपत्ति न्यायाधीश के तौर पर काम करेगा। केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय ने तीन जून को सुभा मेहता और कुलदीप माथुर को उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया था।
जयपुर. हम जब भी 21वीं सदी में महिला पुरुष के कंधे से कंधा मिला के काम करने की बात करते है तो ऐसे नजारे कम ही देखने को मिलते है जब एक जोड़ा ऐसा करते हुए दिखे। लेकिन राजस्थान के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा जब दोनो पति पत्नी कोर्ट में जज के तौर पर काम करते दिखाई देने वाले है। हालाकि पति पत्नी का एक साथ जज के रुप में सेवा देना पहली बार नहीं है देश में कई जोड़े पहले भी साथ ऐसी सेवाएं दे रहे है, या दे चुके है।
राजस्थान में पहली बार दोनो साथ में जज की सेवाएं देगे
शुभा मेहता के पति महेंद्र गोयल पहले से ही उच्च न्यायालय में न्यायाधीश हैं और अब उनके इस काम में उनका साथ उनकी पत्नी भी देगी। राजस्थान उच्च न्यायालय में यह पहली बार है कि पति और पत्नी दोनों न्यायाधीश हैं। दोनो की प्रेक्टिस फील्ड अलग थी पर फिर भी दोनो एक ही सेवाएं देने वाले है। क्योंकि जहां शुभा मेहता जहां न्यायिक सेवा से हैं, वहीं उनके पति कुलदीप माथुर जज बनने से पहले वकील रह चुके हैं।
राजस्थान में जजों के 50 पद स्वीकृत है
नवंबर 2019 में न्यायमूर्ति महेंद्र गोयल को नियुक्त किया गया था। महेन्द्र गोयल पेशे से वकील भी है। अब सुभा मेहता और कुलदीप माथुर की नियुक्ति से हाईकोर्ट में जजों की संख्या अब 25 से बढ़कर 27 हो जाएगी। हालांकि वहां अभी भी जजों के 23 पद रिक्त हैं, क्योंकि न्यायाधीशों के स्वीकृत पद 50 हैं। और दो और जजों की नियुक्ति होने से आकड़ा आधे से कुछ ही ज्यादा गया है। बाकी पद ऐसे ही खाली पड़े है।
पहले भी पति- पत्नी दे चुके है सेवाएं
दिसंबर 2020 में, जस्टिस मुरली शंकर कुप्पुरजू और उनकी पत्नी जस्टिस तमिलसेल्वी टी वलयापालयम ने एक ही दिन मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में शपथ ली थी। इससे पहले भी न्यायमूर्ति विवेक पुरी और न्यायमूर्ति अर्चना पुरी ने नवंबर 2019 में एक ही दिन पंजाब उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में शपथ ली थी।