जयपुर के सबसे बड़े अस्पताल के ICU में 2 घंटे बिजली गुल, वेंटिलेटर-बाइपेप मशीने बंद, मरीजों की अटकी सांसे

नॉर्थ इंडिया के सबसे बड़े अस्पताल में दो घंटे बिजली गुल, वेंटीलेटर पर थे सैंकड़ों मरीज। दिन रात एक कर दिए नर्सिंग स्टाफ ने, दर्जनों मरीजों की जान बचाई। परिवार के लोग दबाते रहे एंबू बैग, चंद सासों के लिए चलती रही मशक्कत 

जयपुर (jaipur).राजस्थान के ही नहीं उत्तर भारत के सबसे बड़े अस्पताल में गुरुवार, 16 जून 2022 की रात ऐसा हंगामा हुआ कि सैकंडों मरीजों की जान आफत में आ गई। शुक्रवार सवेरे तक मरीज और उनके परिजन सदमे में रहें। बीती रात फैली अव्यस्था को शुक्रवार दोपहर तक पूरी तरह से दुरुस्त किया गया और उसके बाद कई बार उसकी चैकिंग भी की गईं। दरअसल एसएमएस (सवाई मान सिंह) अस्पताल में 16 जून 2022 की रात लाइट चली गई थीं। लाइट जाने के बाद सैंकड़ों मरीज जो वेंटीलेटर पर थे उनकी जान आफत में आ गई थीं। लेकिन डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ और मरीजों के परिजनों के अथक प्रयासों से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। 

वेंटीलेटर बंद होने पर तीन मिनट में करना होता है इंतजाम 
डॉक्टर्स का कहना है कि वेंटीलेटर पर लाए गए मरीज को आखिरी स्टेज पर लाया जाता हैं। यही आखिरी मशीन होती है जो जीवन बचाती हैं। बिजली की सप्लाई उतनी ही जरुरी है जितनी जीवन के लिए सांसों की। लेकिन अगर बिजली ही कट जाए तो जान जा सकती है। सिर्फ तीन मिनट में ही अगर वेंटीलेटर पर बंदोबस्त नहीं करें तो हालात खराब होना तय हैं । मरीज की जान जा सकती है। 

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एंबे बैग हाथों में लेकर जुटे रहे मरीज के परिजन और स्टाफ
बीती रात लाइट जाने के कारण हुए हंगामे के बीच मरीज छटपटाने लगे तो अस्पताल के स्टाफ ने डॉक्टर्स के साथ मिलकर एंबू बैग का बंदोबस्त किया। कभी मरीज के परिजन उसे दबाते रहे तो कभी अस्पताल स्टाफ उनसे सासें खींचता रहा। गनीमत यह रही कि इतने बड़े अस्पताल में बड़ी संख्या में मरीज वेंटीलेटर पर होने के बाद भी किसी की जान नहीं गई। हांलाकि कुछ मरीजों की हालत जरुर खराब हो गई। शुक्रवार सवेरे तक उन्हे भी दुरुस्त कर लिया गया था। 

पूरे सिस्टम की चैकिंग जारी, शाम तक तैयार होगी रिपोर्ट 
उधर इस घटना के बाद अस्पताल प्रबंधन सख्त हो गया है। मशीनरी संभालने वाले स्टाफ को प्रबंधन ने निर्देश दिए हैं कि वे पूरे अस्पताल की सभी तरह की मशीनरी की जांच फिर से करें। इसकी रिपोर्ट तैयार करे। जहां भी परेशानी हो इस बारे में तुरंत प्रबंधन को बताया जाए। उसे दुरुस्त करें और अगर दुरुस्त नहीं हो तो नई लाने की तैयारी करें। इस मामले की रिपोर्ट उच्च प्रबंधन को सौंपी जानी है।

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