राजस्थान के करौली में हुई हिंसा के 6 बाद तक शहर में कर्फ्यू लागू है। आलम यह है कि लोग ना चाहकर भी अपने घरों में कैद हैं। जिसके चलते वह दूध-सब्जी जैसी जरूरी चीजों के लिए भी मोहताज हैं। सिर्फ आज दो घंटे के लिए प्रशासन ने छूट दी तो बाजारों में भीड़ उमड़ पड़ी।
करौली (राजस्थान). शोभायात्रा में पथराव के बाद पैदा हुए सांप्रदायिक तनाव के चलते लगाए गए कर्फ्यू में गुरुवार सुबह 9 बजे से सुबह 11 बजे तक की छूट दी गई। कृषि खुलते ही घरेलू सामान खरीदने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। सब्जी, फल, किराने की दुकान, दूध की दुकान, पेट्रोल पंप आदि दुकानों पर 2 घंटे तक लोगों की भीड़ जमा रही। सुबह 11 बजते ही शहर में फिर से कर्फ्यू लागू कर दिया गया।
जब तक बाजार खुला घूमते रहे कलेक्टर और एसपी तक
जिला कलेक्टर राजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि लोगों की जरूरतों और माहौल को देखते हुए सुबह 9 बजे से सुबह 11 बजे तक कर्फ्यू में छूट दी गई थी। इस दौरान पूरी व्यवस्थाएं बनी रहे इसके लिए आरएएस अफसर मौके पर लगाए गए। कुछ जिला कलेक्टर ने भी बाजारों का राउंड कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। कर्फ्यू की छूट के दौरान हालात सामान्य रहे। सभी वर्ग के लोगों ने अपनी दैनिक जरूरतों और घरेलू सामान की खरीदारी की।
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7 अप्रैल तक लागू रहेगा कर्फ्यू
कर्फ्यू में छूट के दौरान बाजार वाले क्षेत्र में दुपहिया और चौपहिया वाहनों का प्रवेश निषेध रखा गया, जिससे कि यातायात व्यवस्था बनी रहे। फिलहाल जिला प्रशासन की ओर से शहर में यह कर्फ्यू 7 अप्रैल तक के लिए लागू किया है। आगामी दिनों में कर्फ्यू को लेकर क्या हालात रहेंगे इसको लेकर अभी तक निर्णय नहीं लिया गया है।
करौली में हिंसा की शुरुआत कैसे हुई थी...
गौरतलब है कि करौली में 2 अप्रैल को नव संवत्सर के अवसर पर हिंदू संगठनों की ओर से शहर में शोभा यात्रा निकाली गई थी। इस दौरान समुदाय विशेष के लोगों ने शोभायात्रा पर पथराव कर दिया और दुकानों में आग लगा दी थी। शहर में तनाव के हालातों को देखते हुए बीते कई दिनों से कर्फ्यू लगा हुआ था। साथ ही इंटरनेट सेवाएं भी बाधित थी।
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करौली हिंसा पर राजेन्द्र राठौड़ का बड़ा बयान
राजस्थान विधानसभा उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ का बयान सामने आया है। उन्होंन कहा- हमने पुलिस प्रशासन को 4 वीडियो उस रैली के दिए हैं जो उस उपद्रव के हैं उस वीडियो में पूरा चित्रण दर्ज है लेकिन पुलिस ने उस आधार पर कोई कार्रवाई नहीं की। जांच दल इस बात के निष्कर्ष पर पहुंचा है कि रैली निकलने से पहले उस इलाके के मकानों पर सैकड़ों टन तथ्य एकत्रित हुए। घटना से 1 दिन पहले एक बैठक हुई जिसमें पी एफ आई से जुड़े लोगों ने पहले ही हमले की योजना बना ली थी। घरों की छत पर पत्थर हेलीकॉप्टर से नहीं बल्कि लोगों ने ही रखे हैं। राठौड़ ने कहा- प्रशासन और खुफिया विभाग उस समय सक्रिय क्यों नहीं हुई जब वहां के पूर्व पार्षद और कुछ लोगों ने चेतावनी दी थी कि इस मार्ग से रैली निकालने पर हमला होगा। कमेटी के सामने 1 दर्जन से अधिक लोगों ने अपना प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया लेकिन प्रशासन ने उनकी एक भी एफ आई आर दर्ज नहीं की।