कोटा का हैरान करने वाला मामलाः एक ही क्षेत्र की कोचिंग के 36 छात्र हुए बीमार, एक की गई जान, जांच में लगी टीम

राजस्थान  के कोटा में लीवर इंफेक्शन से नीट परीक्षार्थी की हुई दर्दनाक मौत। वहीं अन्य 35 छात्र हुए बीमार। सभी एक ही कोचिंग से कर रहे थे नीट की तैयारी। बीमार होने व जान जाने का प्रारंभिक कारण प्रदूषित जल माना जा रहा है। सीएमएचओं ने दिए सेंपल लेने के आदेश।

Asianet News Hindi | Published : Oct 15, 2022 2:26 PM IST

कोटा (राजस्थान). राजस्थान की एजुकेशन सिटी कहे जाने वाले कोटा जिले में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां नीट की परीक्षा देने वाले 18 वर्षीय एक छात्र की यहां एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान हेपेटिक इंसेफेलोपैथी से मौत हो गई। जबकि उसके अन्य 35 साथियों का इलाज चल रहा है। ये सभी साथी  एक ही एरिया के कोचिंग और होस्टल में रहकर नीट की तैयारी कर रहे थे। घटना की जानकारी मिलने के बाद जिला सीएमएचों ने जांच के आदेश दिए है। मृतक की पहचान वैभव रॉय के रूप में हुई है।

बीमारी के कारण गई जान, अन्य छात्र भी हुए भर्ती
जानकारी में सामने आया है कि जवाहर नगर इलाके के कोचिंग व होस्टल में रहने वाले छात्रों को पेट संबंधी बीमारी के बाद इलाज के लिए लाया गया था। कुल मिलाकर 36 छात्रों को यहां भर्ती कराया गया था। जिनमें से एक वैभव राय भी था। पीड़ित मृतक मूल रूप से पश्चिम बंगाल का रहने वाला था, लेकिन स्टडी के चलते वह कोटा जिले के कैथून शहर में अपने परिवार के साथ रहता था। उनका इलाज कर रहे डॉक्टर राजीव शर्मा ने बताया कि पीड़ित को 5 अक्टूंबर के दिन बुखार व पीलिया होने की जानकारी देते हुए भर्ती कराया गया था,जिनकी हालत और बिगड़ने पर जांच की गई तो उसमें हेपेटिक एन्सेफेलोपैथी का पता चला जो कि लीवर से जुड़ी एक घातक बीमारी है। जिसके ट्रीटमेंट के दौरान उनकी जान शुक्रवार के दिन हो गई। वहीं उनके साथ ही भर्ती हुए 18 लोग ठीक हो चुके है, जबकि 3 अन्य का हॉस्पिटल में अभी भी इलाज चल रहा है। डॉक्टरों ने छात्रों के बीमार होने का कारण वहां के पीने वाले पानी का दूषित होना बताया है।

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कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
पीड़ित छात्र की जान जाने के बाद मामले की जानकारी होने पर स्वास्थ्य विभाग एक्टिव हुआ व अन्य 35 बीमार छात्रों का मेडिकल टेस्ट कराया गया जिसमें सभी पीड़ितों के हेपेटाइटिस A के रिजल्ट पॉजिटिव आए है। इसके बाद हेल्थ डिपार्टमेंट की एक टीम ने अलग अलग जगह जाकर पानी 65 सेंपल कलेक्ट किए। इसके साथ ही सामने आया है कि तीन सप्लायर द्वारा कोचिंग संस्थानों, होस्टलों और कैंटीन में वाटर अवेलेवल कराया जा  रहा था। वहीं जिला कलेक्टर बृजमोहन बैरवा ने सीएमएचओं को मामले की जांच करने का ऑर्डर दिया है साथ ही उनकी रिपोर्ट आने के इंतजार  की बात कहीं है।

सीएमएचओ ने शुरू की जांच
मामले में जानकारी देते हुए कोटा के मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ जगदीश सोनी ने बताया कि एक छात्र की लीवर फैलियर से जान जाने का जानकारी मिली है इसके साथ ही 35 अन्य का इलाज चल रहा है। जिनकी रिकवरी भी तेजी से हो रही है। जिसकी मौत हुई है डॉक्टर का कहना है कि उसके माइंड मे सूजन थी जो गंभीर होने पर जान गई है। हालाकि वास्तविक कारण का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद  ही हो सकेगा। इसके साथ ही मामले की गंभीरता को समझते हुए अभी तक 83 सेंपल लिए गए है, इसके साथ ही 18 ब्लड सैंपल कलेक्ट किए गए है। इसके अलावा तीन सप्लायर के नाम सामने आए है जहां से इन संस्थानों को पानी कि सप्लाई की जाती थी।  इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोचिंग व हॉस्टल संचालकों के साथ हुई बैठक में पानी की टंकियों को साफ करने के साथ आर ओ वाटर फिल्टर लगाने के साथ यूवी लैंप लगाए जाने के निर्देश दिए है। 

दूषित पानी के कारण हुए बीमार
वहीं छात्रों का इलाज कर रहे एस एन पारिक मेमोरियल एंड मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल के डॉ के के पारीक ने कहा, "कम से कम 10-12 कोचिंग छात्रों का एक सप्ताह से अधिक समय से हेपेटाइटिस ए का इलाज चल रहा है। उन्होंने बताया सामान्यतः यह बीमारी दूषित पानी और भोजन के खाने के कारण होती है। और सभी इलाजरत सभी पीड़ितों के लीवर में एंजाइम खतरनाक रूप से हाई पाए गए है। 

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