मिसाल है ये मां: पति की मौत के13 साल बाद शुरू की पढ़ाई, हासिल की 4 सरकारी नौकरियां, सब छोड़ बनी पुलिस अफसर

मदर्स डे पर देश दुनिया की सभी मांओं को सलाम है...लेकिन उसके बावजूद भी कुछ माऐं ऐसी हैं जो समाज परिवार के सामने मिसाल कायम करती है । उनमें से ही एक है सीकर जिले के मूंडरु की मूल निवासी राज कवर...वर्तमान में जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में एसीपी के पद पर तैनात है और महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रही हैं।

सीकर (राजस्थान). मां के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है।  मां ...एक शब्द में पूरी दुनिया समा जाती है। मां वह है जो खुद कम खाकर बच्चों का पेट पूरा भरती है।  मां वह है जिनका एहसान बच्चे या परिवार जीवन भर नहीं उतार सकता। मदर्स डे पर देश दुनिया की सभी मांओं को सलाम है...लेकिन उसके बावजूद भी कुछ माऐं ऐसी हैं जो समाज परिवार के सामने मिसाल कायम करती है । उनमें से ही एक है सीकर जिले के मूंडरु की मूल निवासी राज कवर...वर्तमान में जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में एसीपी के पद पर तैनात है और महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रही हैं। पढ़िए राजकंवर की स्पेशल स्टोरी मदर्स डे पर....

संघर्षों से भरी इस खाकी वर्दी वुमन की कहानी...
राज कवर  खाकी वर्दी में सरकारी दस्तावेजों को जांच रही राज कवर की फोटो देखकर आपको नहीं लगेगा की वर्दी तक पहुंचने में कितना संघर्ष राज कंवर ने किया है। इस संघर्ष में परिवार कवच बन कर खड़ा रहा और समाज एवं रिश्तो की प्रहारों को सहन करने की शक्ति राज कवर को देता रहा।

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फिल्मी कहानी से कम नहीं है राजकवंर का संघर्ष....
सीकर की रहने वाली राजकवंर की शादी 1996 में बीकानेर के लोहा गांव में रहने वाले सुमेर सिंह के साथ हुई । 2009 में एक सड़क हादसे में सुमेर सिंह उनको हमेशा के लिए छोड़ कर चले गए।  जिसके बाद राज कंवर के सामने 11 और 13 साल के दो बच्चों की परवरिश का संकट आकर खड़ा हो गया।  वैसे तो दोनों परिवारों ने सहारा दिया लेकिन   राजकंवर अपने बच्चों और परिवार के सामने मिसाल बनना चाहती थी।  उन्होंने फिर से पुस्तके उठाई और सरकारी नौकरियों में जाने की कमर कस ली । सामाजिक बेड़ियों को लगातार वे तोड़ती रही।  आखिरकार राजकवंर को उनका मुकाम मिला।  उनके भाई शेर सिंह का इस मुकाम में बडा सहयोग रहा। 

B.Ed से शुरुआत की और 4 नौकरियां जीत ली 
शादी के 13 साल के बाद राज कवर ने दोबारा पढ़ना शुरू किया।  पहले और बाद की पढ़ाई में संघर्ष ही संघर्ष रहा।  लेकिन 2010 में B.Ed किया । उसके बाद 2011 में पटवारी भर्ती परीक्षा पास की।  2012 में द्वितीय श्रेणी शिक्षक पद परीक्षा में अपनी सीट पक्की की । 3 साल शिक्षक की नौकरी भी की लेकिन निगाहें प्रशासनिक पदों पर थी । पढ़ाई जारी रखते हुए राज कंवर ने 2016 में आर एस की अंतिम सूची में चयन भी प्राप्त कर लिया।  लेकिन बेहतर रेंक नहीं होने के कारण उन्हें खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग मिला। 

ऐसे जयपुर पुलिस कमिश्नर तक जा पहुंची  राज कंवर
 इस बीच 2017 में 2013 की आर एस भर्ती का रिजल्ट जारी हुआ।  जिसमें राजकवंर ने मिलकर आरपीएस का पद हासिल किया।  सबसे पहले करौली की कैला देवी में पुलिस उपाधीक्षक पद पर नियुक्ति मिली । उसके बाद जयपुर ग्रामीण में सेवाएं देते हुए जयपुर पुलिस कमिश्नर तक जा पहुंची । अब जयपुर की सबसे व्यस्त जगहों में से एक कंट्रोल रूम संभालती हैं । 

बेटा और बेटी आंखों के तारे मां चाहती है वह बने प्रशासनिक अफसर 
जयपुर में रहकर पुलिस फोर्स संभाल नहीं राजकवंर कहती हैं कि बेटी प्रियंका और बेटा हेमेंद्र आंखों के तारे हैं । वे चाहती हैं कि वे समाज देश में अपना नाम बढ़ाएं । मां चाहती हैं  प्रियंका और हेमेंद्र प्रशासनिक अफसर बने । मां के सपने को पूरा करने के लिए बेटा और बेटी कमर कसकर जुट चुके हैं।

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