अजब प्रेम की गजब कहानीः कोर्ट का 50 हजार रुपए का आदेश बना चर्चा का विषय

राजस्थान के पाली जिले से हैरान करने वाला सामने आया है। जहां बंदी प्रत्यक्षीकरण के तहत युवक को कोर्ट के रजिस्ट्रार के पास 50 हजार रुपए जमा कराने के बाद ही लड़की को सुनवाई के लिए लाया जाएगा। जानिए क्या रही वजह की युवक के सामने आई ये स्थिति।

Sanjay Chaturvedi | Published : Nov 22, 2022 5:47 AM IST / Updated: Nov 22 2022, 12:20 PM IST

पाली (Pali). राजस्थान के पाली जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां लड़की के घरवालों द्वारा उसके भागने के बाद पुलिस में मिसिंग रिपोर्ट दर्ज कराई और मिलने  के बाद घर ले गए। पर अब उसके आशिक ने कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका लगा कोर्ट में सुनवाई के लिए बुलाने की मांग की है। तो वहीं कोर्ट ने युवक को 50 हजार रुपए जमा कराने की डेट दे दी है ताकि युवती को गवाही के लिए बुलाया जा सके। जानिए क्या है ये 50 हजार रुपए का मामला और लड़की घर से क्यो भागी।

ये है पूरा मामला
दरअसल राजस्थान के पाली के जिले का एक युवक जिसका नाम दिनेश चौधरी सिरीयारी है उसने एक युवती को दिल दिया। लेकिन युवती की शादी उसके घरवालों ने  महेंद्र नाम के दूसरे युवक से करा दी थी। पुलिस जानकारी से सामने आया कि युवती महेंद्र को पसंद नहीं करती थी। इस बीच सोशल मीडिया पर युवती की दोस्‍ती दिनेश से हो गई। दोस्‍ती प्‍यार में बदली तो एक दिन मौका पाकर युवती अपने आशिक दिनेश के साथ घर से भाग गई। दोनों ने देसूरी जाकर शादी के दस्‍तावेज तैयार करवाए और वहां से गुजरात चले गए। जब घटना का पता जब युवती के घरवालों को चला तो उन्होंने पुलिस थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज करवा दी है। 

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मोबाइल नंबर ट्रेस कर लड़की के पास पहुंचे, आशिक ने दर्ज कराई रिट
मिसिंग रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने तुरंत इस पर कार्रवाही शुरू की और युवती का मोबाइल नंबर ट्रेस किया। जिसकी लोकेशन गुजरात मिली। पुलिस युवती को गुजरात से लेकर आई और उसके बयानों के आधार पर उसे परिजनों को सौंप दिया। इस बीच पाली जिले के दिनेश चौधरी ने याचिका दायर कर कहा कि उसकी प्रेमिका को उसके परिजनों ने बंधक बना रखा है। उसने राजस्‍थान हाईकोर्ट प्रेमिका की वापसी के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर कहा कि युवती ने अपने परिजनों की धमकाने के बाद उसे छोड़कर उनके साथ जाने का बयान दिया है। युवक ने कहा कि लड़की को कोर्ट में पेश कर बयान लिए जाए ताकि सच पता चल सके। युवक की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की तरफ से पचास हजार रुपए जमा कराए जाने की स्थिति में ही अगली सुनवाई तिथि 2 दिसम्बर को युवती को कोर्ट में पेश किया जाएगा।

हेबियस कॉर्पस पर इन्होंने दिया फैंसला
आपको बता दें कि दिनेश चौधरी की बंदी प्रत्‍यक्षीकरण याचिका पर न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश कुलदीप माथुर की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है कि 05 दिन में 50 हजार रुपए हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के पास जमा कराएं और रसीद देखने के बाद एएजी संबंधित थानाधिकारी को 02 दिसम्बर को युवती को कोर्ट में पेश करने का आदेश देंगे।

क्या होता है बंदी प्रत्यक्षीकरण या हेबियस कॉर्पस (habeas corpus)
बंदी प्रत्यक्षीकरण (habeas corpus) एक प्रकार का क़ानूनी आज्ञापत्र (writ) होता है जिसके द्वारा किसी ग़ैर-क़ानूनी कारणों से गिरफ़्तार व्यक्ति को रिहाई मिल सकती है। इसके अलावा बंदी प्रत्यक्षीकरण आज्ञापत्र अदालत द्वारा पुलिस या अन्य गिरफ़्तार करने वाली राजकीय संस्था को यह आदेश जारी करता है कि बंदी को अदालत में पेश किया जाए और उसके विरुद्ध लगे हुए आरोपों को अदालत को बताया जाए। यह आज्ञापत्र ( writ) गिरफ़्तार हुआ व्यक्ति स्वयं या उसका कोई सहयोगी (जैसे कि उसका वकील) न्यायलय से याचना करके प्राप्त कर सकता है।

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