राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंत्रिमंडल (Rajasthan Cabinet Expansion) का पुनर्गठन पूरा हो गया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री के सलाहकार (CM Advisor) भी नियुक्त किए गए हैं। ऐसा पहली बार है कि विधायकों को मुख्यमंत्री का सलाहकार बनाया गया। वो भी सिर्फ 6। इधर, कैबिनेट विस्तार होने के बाद से ही नाराजगी भी सामने आ रही है। अब खेरवाड़ा के विधायक दयाराम परमार ने भी मंत्रिमंडल पुनर्गठन को लेकर अपनी नाराजगी जताई।
जयपुर। राजस्थान में रविवार को अशोक गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार (Rajasthan Cabinet Expansion) में 15 नए मंत्रियों ने शपथ ली है। इनमें कुछ नए चेहरे शामिल किए गए हैं तो कुछ पुराने लोगों को प्रमोट किया गया है। शपथ ग्रहण के बाद सीएम गहलोत अब नाराज विधायकों को मनाने में जुट गए हैं। इसी कवायद में एक नया फॉर्मूला निकाला है। राजस्थान में 6 विधायकों को नया पद दिया गया है। ऐसा पहली बार है कि 6 विधायकों को मुख्यमंत्री का सलाहकार (CM Advisor) नियुक्त किया गया।
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसमें कांग्रेस विधायक डॉ. जितेंद्र सिंह, राजकुमार शर्मा, दानिश अबरार, निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर, संयम लोढ़ा, रामकेश मीणा को मुख्यमंत्री का सलाहकार नियुक्त किया गया है। इसे राज्य में बड़े पदों पर राजनीतिक नियुक्तियों की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। बता दें कि शपथ ग्रहण समारोह के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा- मंत्रिपरिषद का ये पुनर्गठन विशेष परिस्थितियों में हुआ है जिसमें हम कुछ जिलों को प्रतिनिधित्व नहीं दे पाए, पर हम उन जिलों का विशेष ध्यान रखेंगे। पहली बार चुनकर आए विधायकों को मंत्री नहीं बनाया गया।
अगले चुनाव को ध्यान में रखकर मंत्रियों को विभाग बांटेंगे: गहलोत
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि मंत्रिपरिषद के पुनर्गठन में सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। चाहे वह एससी/एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक और महिलाएं हों। उन्होंने कहा कि अब राज्य के अगले विधानसभा चुनाव को देखते हुए मंत्रियों के बीच विभाग दिए जाएंगे।
गहलोत ने कहा- अगले विधानसभा चुनाव के लिए हमारी तैयारी आज से शुरू हो गई है । इसी संबंध में विभागों का आवंटन किया जाएगा। हम लोगों की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे और राज्य में अगली सरकार बनाएंगे।
जानिए सलाहकार नियुक्त करने के सियासी मायने...
डॉ. जितेंद्र सिंह: गुर्जर समाज से आते हैं। कांग्रेस के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं। गहलोत की पिछली सरकार में ऊर्जा मंत्री थे। इस बार भी मंत्री बनने के प्रबल दावेदार थे। गुर्जर समाज की महिला विधायक शकुंतला रावत को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। ऐसे में डॉ. सिंह मंत्री नहीं बन सके।
राजकुमार शर्मा: गहलोत की पिछली सरकार में बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए थे। तब चिकित्सा राज्य मंत्री बनाया था। इस बार भी प्रबल दावेदार थे। झुंझुनूं जिले के नवलगढ़ से विधायक हैं। गहलोत ने सियासी समीकरण साधने के लिए झुंझुनूं से बृजेंद्र ओला और राजेंद गुढ़ा को मंत्री बनाया है। ऐसे में शर्मा को सलाहकार बनाकर संतुष्ट किया है।
दानिश अबरार: पहले पायलट खेमे में थे। पिछले साल सियासी संकट में गहलोत खेमे में आ गए। उसी वफादारी का अब सियासी इनाम मिला है। दानिश को अल्पसंख्यक चेहरे के तौर पर शामिल किया। वे सवाईमाधोपुर से कांग्रेस विधायक हैं।
संयम लोढ़ा: सिरोही से निर्दलीय जीते और गहलोत सरकार का समर्थन किया। पिछले साल सियासी संकट के समय लोढ़ा ने सीएम गहलोत का समर्थन किया। ऐसे में वे अब मंत्री बनने के दावेदार थे, लेकिन किसी कारणवश अंत में शामिल नहीं हो सके। अब सलाहकार के तौर पर जिम्मेदारी दी गई।
रामकेश मीणा: निर्दलीय विधायक हैं और सीएम गहलोत के खास माने जाते हैं। पिछली बार बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए थे। तब ससंदीय सचिव बनाए गए थे। इस बार गंगापुर से निर्दलीय चुनाव लड़कर जीते और गहलोत का समर्थन किया। मीणा ने पायलट गुट का खुलकर विरोध किया था।
बाबूलाल नागर: गहलोत की पिछली सरकार में खाद्य मंत्री थे। 2018 में कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो दूदू से निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते। नागर को शुरुआत से गहलोत का कट्टर समर्थक माना जाता है। फिलहाल, मंत्री बनने के दावेदार माने जा रहे थे। अब उन्हें सलाहकार बनाया गया है।