राजस्थान की हाईकोर्ट ने एक नाबालिग और रेप पीड़िता लड़की को गर्भावस्था के 27वें सप्ताह में गर्भपात कराने की अनुमति दी है। पीड़िता ने खुद अपनी मर्जी से गर्भवात करने के लिए याचिका दाखिल की थी।
जयपुर, राजस्थान की राजधानी जयपुर से एक अलग ही मामला सामने आया है। जहां प्रदेश की हाईकोर्ट ने एक लड़की को गर्भावस्था के 27वें सप्ताह में गर्भपात कराने की अनुमति दी है। बता दें कि लड़की कथित रूप से बलात्कार पीड़िता है और वह नाबालिग है। इस मामले की जांच को लेकर राजस्थान की उच्च न्यायालय ने एक मेडिकल बोर्ड टीम का गठन किया था। जिसकी रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला दिया है।
विशेष नियमों के तहत सुनाया गया फैसला
दरअसल, रेप पीड़ित लड़की ने राजस्थान हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी, जिसमें अपनी मर्जी से गर्भवस्था को समाप्त करने की अनुमति मांगी गई थी। साथ ही कहा था कि वह अभी नाबालिग है, इसलिए बच्चे को पालने में असमर्थ है, इसलिए उसे विशेष नियमों के तहत अनुमति दी जाए। इसके बाद कोर्ट ने पीड़िता का मेडिकल परीक्षण करने का आदेश दिया था।
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 20 सप्ताह तक देता है अनुमित
मीडिकल परीक्षण के बाद सुनवाई के समक्ष अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष व्यास ने अदालत में मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पेश की थी। साथ ही कहा था कि किशोर अवस्था में उम्र को देखते हुए जोखिम को देकते हुए गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है। इतना ही नहीं यह भी कहा ता कि वैसे तो मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 20 सप्ताह तक की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देता है। लेकिन विशेष परिस्थितियों में, अदालतों ने उसके बाद भी समाप्ति की अनुमति दी है।
जज ने लड़की को हुए मानसिक आघात का हवाला देते हुए किया फैसला
सुनवाई के दौरान राजस्थान हाईकोर्ट के जज विनीत कुमार माथुर ने पीड़ित पक्ष की याचिका की सुनवाई करते हुए और मीडिकल रिपोर्ट को देखकर नाबालिग लड़की को 27वें सप्ताह में गर्भपात कराने की अनुमति दी। साथ ही न्यायमूर्ति ने कहा- अनचाहे गर्भ के कारण लड़की को हुए मानसिक आघात का हवाला दिया और कहा कि उसे गर्भपात कराने का अधिकार है।