विश्वास स्वरूपम में जारी है श्री राम कथा, कथावाचक मोरारी बापू ने बताया इस तरह से पा सकते है शिव को

राजसमंद के नाथद्वारा में जारी रामकथा रविवार को लेगी विराम, पूरे होंगे कथा यात्रा के 906 सोपान। विश्वास स्वरूप को पाने के लिए इस तरीके को अपनाने का संदेश दिया कथावाचक मोरारी बापू ने। जाम को देखते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए कैंसिल। पढिएं कथा के विशेष अंकों से जीवन की सार बाते..

Sanjay Chaturvedi | Published : Nov 5, 2022 10:28 AM IST / Updated: Nov 05 2022, 04:20 PM IST

राजसमन्द (rajsamand). विश्वास और स्वरूप दोनों ही वृहद रूप हैं। उनकी व्याख्या अपार है, उसे साररूप में बांधा नहीं जा सकता, यदि विश्वास के स्वरूप को एक शब्द में पिरोने का प्रयास किया जाए तो वह शब्द होगा ‘सत्य’। सत्य हर युग में सत्य है, चाहे उसे समझने और प्रकट करने के तरीके अलग हों। विश्वास के स्वरूप का आधार ‘सत्य’ है। शीतल संत मुरारी बापू ने शुक्रवार को विश्वास और विश्वास के स्वरूप की व्याख्या को और गूढ़ता की ओर ले जाते हुए कहा कि जिस प्रकार ब्रह्म एक है और उसको अपनी रुचि के अनुरूप कई तरह से देखा और समझा जाता है, ठीक उसी प्रकार सत्य को भी देखने का नजरिया अलग-अलग हो सकता है। सभी को अपनी दृष्टि व नजरिये से सत्य को देखने की स्वतंत्रता है, क्योंकि यह तय है कि नजरिया भिन्न हो, सत्य तो वही रहेगा। उन्होंने कहा कि सत्य प्रत्येक युग, प्रत्येक देश, प्रत्येक व्यक्ति का वर्तमान है। युवा सत्य के पथ का अनुसरण करें, विश्वास के स्वरूप की विशालता-विराटता के दर्शन स्वतः हो जाएंगे।

नाथद्वारा में विशाल शिव प्रतिमा लोकार्पण में हुई श्री राम कथा वाचन

नाथद्वारा में विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा ‘विश्वास स्वरूपम’ के विश्वार्पण के साथ शुरू हुई मानस विश्वास स्वरूपम रामकथा के सातवें दिन सीता स्वयंवर के प्रसंग को समझाते हुए कहा कि राम जैसा साथी प्राप्त होना सरल नहीं है। इसके लिए स्तुति करनी चाहिए। उन्होंने आह्वान किया कि बेटियां गौरी पूजा करें और युवकों गुरु पूजन करें, तो उनके आशीर्वाद से संस्कारित होने वाले व्यक्तित्व राम राज्य का स्वतः निर्माण कर देंगे। बापू ने राम लक्ष्मण के जनकपुर नगर भ्रमण व उपवन भ्रमण के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि परमात्मा का दर्शन करने के लिए बाग रूपी संत सभा में जाना ही चाहिए। सीता की सखी जैसा गुरु मिल जाएगा तो वह प्रभु राम से भी मिलवा देगा।

अहंकार रूपी धनुष, विनय से ही टूटता है
सीता स्वयंवर प्रसंग का वर्णन करते हुए बापू ने कहा कि शिव धनुष अहंकार का प्रतीक है जो विनय से ही टूट सकता है। अभिमान में भक्ति नहीं मिल सकती। माता जानकी भक्ति और धनुष अहंकार का प्रतीक है। शिव धनुष जब टूटा तो उसने स्वयं को प्रभु के चरणों में पाया। अहंकार टूटने पर ही प्रभु शरणागति प्राप्त होती है। और अहंकार का निर्मूलन गुरु के सुमिरन और कृपा के बिना संभव नहीं है।

मैं को मिटाएं
बापू ने कहा कि उठो, जागो और लक्ष्य को साधो। किसी भी क्षेत्र में रहो, लेकिन गुरु कृपा से अहंकार को मिटा कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करो। आज यह अहंकार चहुंओर व्याप्त है। समस्या का हल स्वयं से नहीं हो रहा है तो किसी और को भी करने नहीं देने की भावना अहंकार का ही प्रतीक है। समाज की परिस्थितियां कभी राजा जनक रूपी ज्ञानी को भी विचलित कर देती हैं। त्रेतायुग की कथा वर्तमान का सत्य है। और सत्य को जानने के लिए गुरु की कृपादृष्टि आवश्यक है।

अखिल के लिए बुद्ध पुरुष की जरूरत
अपनी अपनी दृष्टि से देखने की सबको स्वतंत्रता है। जिसकी जितनी क्षमता होती है, वह उतना ही देख सकता है। पूर्ण जानने के लिए संपूर्ण देखने की जरूरत है। अपनी सोच एवं दृष्टि की मर्यादा के कारण कुछ ना कुछ हमसे छूट ही जाता है। एक विज्ञान, एक सत्य और एक ब्रह्म को संपूर्ण नजरिये से देखने के लिए हम जैसे जीवों को गुरु की आंख चाहिए। गुरु ही हमें अखिल का दर्शन करा सकता है। इसलिए हमें बुद्ध पुरुष की जरूरत होती है।

गुरु कृपा से ही मिलेगा सत्य का मार्ग
हमारे जीवन का ग्रंथ हमारे गुरु के अलावा कोई नहीं पढ़ सकता। साधु किसी को रास्ता नहीं दिखाता, बल्कि अपनी दृष्टि देता है। जिसमें बोध ही हो, विरोध न हो, हमें ऐसी दृष्टि चाहिए। हमें ऐसी आंखें चाहिए जो उजाली बन कर देखे, न कि शिकारी बन कर। गुरु को हमेशा चिन्ता रहती है कि उसका शिष्य कहीं भटक न जाए। शरीर तो जाता है, लेकिन गुरु नहीं जाता है। गुरु हमेशा साथ रहता है। जैसा है वैसा बोध कराने वाला बुद्ध पुरुष होता है। गुरु का बोध अमिट होता है, उसकी कोई सीमा नहीं होती। हमारी पात्रता के अनुरूप बोध दे अर्थात जितना हम पचा सकें उतना बोध कराए, वही हमारा गुरु है।

नैतिकता का ज्ञान दे रही है रामकथा - बिड़ला
शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला भी कथा श्रवण के लिए पहुंचे। इस दौरान अपने संक्षिप्त उद्बोधन में उन्होंने कहा कि आज ऐसा प्रतीत हुआ जैसे मुरारी बापू के माध्यम से गोस्वामी तुलसीदासजी के मुख से रामकथा सुनने को मिल रही है। श्रीनाथ की धरती धर्म की धरती है जिसका अपना महत्व है और विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा यहां स्थापित हुई यह गौरव की बात है। अध्यात्म व धर्म की धरती नये परिप्रेक्ष्य का ज्ञान बरसा रही है। सत्य के साथ अपने जीवन में नैतिकता एवं चरित्रता की सीख दे रही है। मुरारी बापू हमेशा संस्कृति एवं धर्म के माध्यम से देश के युवाओं को दिशा देते रहें, ऐसी कामना है।

ये रहे मौजूद
शुक्रवार को सातवें दिन रामकथा के दौरान संत कृपा सनातन संस्थान के ट्रस्टी मदन पालीवाल, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी. पी. जोशी, सहकारिता व प्रभारी मंत्री उदयलाल आंजना, आरसीए अध्यक्ष वैभव गहलोत, मंत्रराज पालीवाल, रवीन्द्र जोशी, रूपेश व्यास, विकास पुरोहित, विष्णु दत्त, प्रकाश पुरोहित, जिला कलेक्टर, जिला पुलिस अधीक्षक आदि उपस्थित थे।

सांस्कृतिक संध्या स्थगित
गुरुवार रात्रि को हंसराज रघुवंशी के कार्यक्रम के बाद नाथद्वारा शहर में हुए जाम को देखते हुए प्रशासन ने आयोजकों के साथ मिलकर आगामी कार्यक्रम स्थगित करने का निर्णय किया है। संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से रामकथा के दौरान 4 व 5 नवम्बर होने वाले सांस्कृतिक संध्या के आयोजन स्थगित कर दिए गए हैं। इसके तहत 4 नवम्बर को निर्धारित कवि सम्मेलन व 5 नवम्बर हो निर्धारित कैलाश खैर नाइट स्थगित रहेगी। दोनों कार्यक्रम अब रामकथा के बाद करने का निर्णय किया गया है जिसकी दिनांक आयोजकों द्वारा शीघ्र ही घोषित की जायेगी।

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