कोर्ट में सलमान ने 18 साल पहले दिया झूठा एफिडेविट, बोले गलती हो गई माफ करो..जानिए क्यों किया ऐसा

बॉलीवुड एक्टर सलमान को 1998 में जोधपुर के पास कांकाणी गांव की सीमा में 2 काले हिरणों के शिकार के मामले में गिरफ्तार किया गया था। उस समय कोर्ट ने उनसे हथियारों का लाइसेंस मांगा था। जिसपर सलमान खान ने 2003 में कोर्ट में एफिडेविट देकर कहा था कि कि लाइसेंस कहीं खो गया है। इस बारे में उन्होंने मुंबई के बांद्रा पुलिस थाने में दर्ज FIR की कॉपी भी लगाई थी। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 9, 2021 1:51 PM IST / Updated: Feb 09 2021, 07:35 PM IST

जोधपुर (Rajasthan) । काले हिरण शिकार मामले में फंसे सलमान खान से जुड़े एक और मामले की सुनवाई मंगलवार को जोधपुर सेशन कोर्ट में हुई। ये सुनवाई झूठे एफिडेविट देने के मामले में हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस सुनवाई के दौरान सलमान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े थे। सुनवाई के दौरान उनके वकील हस्तीमल सारस्वत ने कोर्ट में कहा, '8 अगस्त 2003 को गलती से एफिडेविट दे दिया गया था, इसलिए सलमान को माफ कर दिया जाए। वहीं, कोर्ट इस मामले में 11 फरवरी को फैसला सुनाएगा। आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला।

साल 2003 में सलमान ने दिया था ये एफिडेविट
बॉलीवुड एक्टर सलमान को 1998 में जोधपुर के पास कांकाणी गांव की सीमा में 2 काले हिरणों के शिकार के मामले में गिरफ्तार किया गया था। उस समय कोर्ट ने उनसे हथियारों का लाइसेंस मांगा था। जिसपर सलमान खान ने 2003 में कोर्ट में एफिडेविट देकर कहा था कि कि लाइसेंस कहीं खो गया है। इस बारे में उन्होंने मुंबई के बांद्रा पुलिस थाने में दर्ज FIR की कॉपी भी लगाई थी। 

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झूठ पकड़े जाने पर कोर्ट में की गई थी ये मांग
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सलमान के एफिडेविट देने के बाद बाद कोर्ट को पता चला कि उनका आर्म लाइसेंस गुम नहीं हुआ, बल्कि उन्होंने इसे रिन्यू कराने के लिए दिया है। जिसपर, पब्लिक प्रोसिक्यूटर भवानी सिंह भाटी ने कोर्ट से मांग की थी कि सलमान के खिलाफ कोर्ट को गुमराह करने का केस दर्ज किया जाए।

सलमान के वकील ने दी थी कुछ ऐसी दलील
सुनवाई के दौरान सलमान के वकील ने दलील दी कि बहुत ज्यादा बिजी होने की वजह से सलमान यह बात भूल गए थे कि उनका लाइसेंस रिन्यू होने के लिए दिया हुआ है। इसलिए उन्होंने कोर्ट में लाइसेंस गुम होने की बात कही। सलमान के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अगर किसी मामले में आरोपी को कोई फायदा नहीं हो और गलती से झूठा एफिडेविट पेश हो जाए तो उसे बरी कर दिया जाना चाहिए।

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