
जयपुर. राजस्थान और राजस्थानी अपनी मेहमाननवाजी के लिए फेमस है...पधारो म्हारे देश....यह सरकार का स्लोगन भी है। लेकिन अब अगर आप घुमने-फिरने या अपने किसी रिश्तेदार के यहां छुट्टियां मनाने आ रहे हैं तो ये खबर आपके लिए ही है। देश दुनिया के दिमाग में बनी राजस्थान की छवि को बदलने के लिए सरकार चाहे लाख प्रयास करे लेकिन सूखे कुएं, रेत के टीले और आग उगलते सूरज की बनी हुई यह छवि बदलने का नाम नहीं ले रही है। राजस्थान में इस बार गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड दिए हैं। अप्रेल महीने में ही आधे से ज्यादा राजस्थान का पारा 42 डिग्री से उपर जा चुका है, ऐसे में सरकार ने अब अघोषित समय के लिए बिजली की कटौती की घोषणा कर दी है। सात करोड़ से ज्यादा की जनता सरकार के इस फैलसे से हतप्रद है।
कोयला नहीं है, पड़ोसी राज्यों ने भी मुंह मोड़ लिया
बिजली के संकट को लेकर उर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने बुधवार सवेरे से शाम तक अलग अलग स्तर पर अधिकारियों की बैठक ली। शाम तक यह नतीजा निकला कि अब बिजली संकट बेकाबू होता जा रहा है अब कटौती शुरु कर ही दो। मंत्री ने कहा कि रावतभाटा समेत कई बिजली उत्पादन ईकाईयां कोयला नहीं होने के चलते ठप्प हो चली हैं। ऐसे में अब बिजली की कटौती करना जरुरी है। प्रदेश में आज से एक घंटे से छह घंटे तक की बिजली कटौती के चार स्लैब बने हैं। शहरों में एक घंटे, कस्बों में दो से तीन घंटे और गांवों में पांच से छह घंटों की कटौती आज से शुरु कर दी गई है। कोयले की कमी को पूरा करने के लिए पिछले महीने सरकार ने कई राज्यों के सीएम से मुलाकात भी की थी लेकिन बात नहीं बनी।
जानिए रोजाना कितनी है आवश्कयता और मिल रही बस इतनी
बिजली विभाग के अफसरों का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले बिजली की डिमांग 34 फीसदी बढ़ गई है। कोयले की कमी के चलते मांग के अनुपात में बिजली उत्पादन नहीं हो पा रहा है। डिस्कॉम को आवश्यकता के मुकाबले 10 फीसदी ही बिजली मिल पा रही है। ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी का कहना है कि अचानक बिजली की मांग बढ़ी है। प्रतिदिन बिजली की उपलब्धता 10 हजार मेगावाट है। जबकि मांग 13 हजार से अधिक आ रही है। केन्द्र ने बिजली खरीद का अधिकतम मूल्य 12 रुपए प्रति यूनिट तय किया हुआ है। हम 12 रुपए में बिजली खरीद की कोशिश कर रहे है। रोजाना 3 से 4 हजार मेगावाट बिजली की और आवश्यकता है। लेकिन हमें 10 फीसदी ही बिजली मिल पा रही है।
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