
जयपुर. देश में तेल की कीमतों में उछाल और गिरावट लगातार जारी रही है। फिर पहली बार ऐसी स्थिति क्यों बन रही है जब पेट्रोल पंप सूखने लग रहे हैं। राजस्थान के लोग आधी आधी रात जागकर अपनी नींद खराब कर पेट्रोल पंपों पर गाड़ियां लेकर क्यों खड़े हैं....? इन सारे सवालों के जवाब इन सात बिंदुओं से आप समझ सकते हैं और तय कर सकते हैं कि आपको परेशान होना या फिर थोड़ा भर इंतजार करना है......। सीधे सीधे शब्दों में समझिए सब कुछ...।
1. दरअसल, पिछले दिनों केंद्र ने पैट्रोल डीजल पर दाम घटाए थे। उसके बाद से देश भर में अस्थिर माहौल हो गया। हुआ यूं कि केंद्र ने तो दाम घटा दिए लेकिन उधर क्रूड के दाम बढ़ते जा रहे हैं। इससे तेल खरीदने में तेल कंपनियों को बहुत नुकसान हो रहा है। वे सरकार की ओर इसका हल निकालने को देख रही हैं।
2. पैट्रोल और डीजल कपंनियों कम खरीद रही हैं और आगे पंपों पर भी कम सप्लाई कर रही हैं। इस कारण कई जगहों पर पैट्रोल खत्म होता जा रहा है। इनमें ग्रामीण इलाकों की संख्या ज्यादा है।
3. दो बड़ी कपंनियों एचपीसीएल और बीपीसीएल ने तेल की आपूर्ति रोक दी है। बेहद बड़े पंपों पर ही सप्लाई का फिलहाल टारगेट है। कई शहरों में तो राशनिंग तक करने की बात सामने आ रही है।
4. राजस्थान में करीब 6700 पैट्रोल पंप हैं। पैट्रोल पंप एसोसिएशन के पदाधिकारी सुनित बगई ने कहा कि करीब 2500 से ज्यादा पंपों पर हालात विकट होते जा रहे हैं। जल्द सरकार दखल नहीं देती है तो खरीदारों का आक्रोश बढ़ सकता है।
5. एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकारें दाम बढ़ा रही है इससे परेशानी नहीं है। लेकिन सरकार के कई तरह के टैक्स भी लगातार बढ़ रहे हैं। पंप मालिकों का कमीशन कई सालों से नहीं बढ़ा है। जब पैट्रोल डीजल 70 से 80 तक था , तब जो कमीशन मिल रहा था अभी भी वही मिल रहा है। पंप वाले भयंकर घाटे में चल रहे हैं।
6. एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि समय आ गया है राज्यों की सरकारें अपने कमीशन और टैक्स में से पैट्रोल पंप संचालकों को दे और उनका कमीशन बढ़ाए, ऐसा नहीं होता है तो हालात काबू से बाहर जा सकते हैं। पैट्रोल डीजल के लिए त्राही त्राही मचना तय है। जल्द ही नई पॉलिसी लागू करने की जरुरत है।
7. राजस्थान समेत देश के कई राज्यों में भी इसी तरह का माहौल है। राजस्थान में हालात ज्यादा इसलिए खराब हैं क्योंकि यहां के अधिकतर शहरों में देश के अधिकतर शहरों से रेट्स ज्यादा हैं। यानि पैट्रोल पंप मालिकों को अन्य शहरों के पंप मालिकों की तुलना में कमीशन कम मिल रहा है और यही कारण है कि वे खरीद पर दिलचस्पी कम दिखा रहे हैं।
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