2 पत्नियां-3 संतान वाले राजस्थान के इस कांग्रेस नेता की खुली पोल, तत्काल किया बर्खास्त...गजब कर गए नेताजी!

सीकर के जिला अदालत ने बड़ा फैसला करते हुए कांग्रेस नेता और रींगस नगर पालिकाध्यक्ष अशोक कुमार कुमावत को  पद से बर्खास्त कर दिया है। क्योंकि नेताजी ने बिना तलाक दिए दूसरी  महिला से शादी कर ली थी।

सीकर. राजस्थान के सीकर जिले की रींगस नगर पालिकाध्यक्ष अशोक कुमार कुमावत के दो पत्नियों से तीन बच्चों की पुष्टि हो गई है। जिला एवं सेशन न्यायालय ने बुधवार शाम को 15 महीने से चल रहे विवाद में अपना फैसला सुनाते हुए इसे सही माना है। जिसके बाद अशोक कुमावत को पालिकाध्यक्ष पद के लिए अपात्र  करार देते हुए बर्खास्त कर दिया है। अशोक की जगह अब विपक्ष के हरिशंकर निठारवाल को पालिका अध्यक्ष निर्वाचित घोषित किया है। न्यायालय का आदेश आते अशोक कुमावत के पक्षकारों में मायूसी तो हरिशंकर निठारवाल के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। 

पालिका चुनाव से चल रहा था विवाद
रींगस नगरपालिका में पिछले साल बोर्ड के गठन से ही अशोक कुमार कुमावत के तीन संतान का विवाद गहराया हुआ था। इस पर विपक्ष के हरिशंकर निठारवाल ने कोर्ट में वाद दायर किया था। जिसमें कोर्ट ने बुधवार शाम को निठारवाल के पक्ष में फैसला सुनाया। 

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बिना तलाक के दो शादी व तीन संतान
 कोर्ट में दर्ज केस के बाद अशोक कुमावत के दो पत्नियों से तीन जीवित संतानों की पुष्टि हुई है। सामने आया है कि अशोक कुमावत की पहली पत्नी सविता से एक पुत्री निहारिका है। इसके बाद अशोक कुमार कुमावत ने बिना तलाक  ही मीनाक्षी नाम की दूसरी  महिला से शादी कर ली थी। जिससे भी अशोक को दो बेटियां है। जिनमें भी एक बेटी का नाम निहारिका व दूसरी का अर्पिता है। 

नामांकन में था दो बेटियों का जिक्र
गौरतलब है कि नगर पालिका चुनाव के दौरान अशोक कुमार कुमावत के पार्षद चुनाव व पालिका अध्यक्ष चुनाव में नामांकन में केवल एक पत्नी व दो बेटियों का जिक्र किया था। अशोक ने  दूसरी पत्नी मीनाक्षी तथा बेटियों में निहारिका व अर्पिता का ही नाम दर्ज किया। 

निर्वाचन आयोग बता चुका था अयोग्य, सरकार बचाती रही कुर्सी
तीन संतान मामले की जांच खंडेला उपखंड अधिकारी राकेश कुमार ने भी की थी। जिसमें भी अशोक को तीन संतान मामले में दोषी माना था। इस पर कलेक्टर ने 9 मार्च 2022 को राज्य निर्वाचन आयोग को रिपोर्ट भेज अशोक कुमार कुमावत को  नामांकन पत्र में झूठे विवरण का दोषी बताया था।  इसके बावजूद सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। माना जा रहा है कि कांग्रेस का बोर्ड व राज्य में कांग्रेस की सरकार होने की वजह से स्वायत शासन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की।

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