राजस्थान के वीर सपूत का कमाल: जिंदा थे तो बॉर्डर पर दुश्मनों को चटाई धूल, मौत के बाद 4 की बचा गए जान

राजस्थान के सीकर के रहने वाले एक पूर्व सैनिक अपने अंगदान कर मरने के बाद भी चार लोगों की जिदंगी दे गया। जब तक वो जीवित थे तो देश की बॉर्डर दुश्मनों को धूल चटाते हुए देश सेवा  में जीवान समर्पित कर दिया।
 

Arvind Raghuwanshi | Published : Aug 31, 2022 10:56 AM IST / Updated: Sep 01 2022, 11:01 AM IST


जयपुर (राजस्थान). मातृभूमि की रक्षा के लिए जान गवाने वाले सैनिकों की वीर भूमि राजस्थान के एक सैनिक ने तो कमाल ही कर दिया। सेना में रहने के दौरान तो दुश्मनों के दांत खट्टे करते ही रहे ,लेकिन मौत के बाद भी कई लोगों का जीवन बचा लिया।  सीकर में रहने वाले पूर्व सैनिक  रिछपाल सिंह ने अपनी मौत के बाद शरीर के अंगों को दान कर दिया । राजस्थान का यह 48 वां अंगदान है ।

कई सालों तक देश की सेवा की और रिटायरमेंट के बाद कर गए कमाल
दरअसल, 57 साल के रिछपाल सिंह जाखड़ सीकर के रहने वाले थे। उन्होंने कई सालों तक देश की सेवा की और रिटायरमेंट के बाद अपने गांव में ही रहे। 29 अगस्त 2022 को भी अपनी बाइक से सब्जी लेकर घर लौट रहे थे, इसी दौरान घर के नजदीक एक कार ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी। टक्कर में रिछपाल सिंह को गंभीर चोटें लगी और उन्हें सीकर के अस्पताल से जयपुर के मणिपाल अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया।  मणिपाल अस्पताल में रिछपाल सिंह  को 30 अगस्त को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।

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'पापा जीते जी ही नहीं मौत के बाद भी लोगों की जान बचा गए'
परिजन जब रिछपाल के शव को ले जाने लगे तो उस समय चिकित्सकों ने और अस्पताल के ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर ने रिछपाल सिंह के परिजनों को अंगदान करने के लिए प्रेरित किया। पहले तो परिवार इसके लिए नहीं माना लेकिन बाद में जब पुराने ब्रेन डेड लोगों के अंगदान के बारे में परिजनों को बताया गया तो वह अंगदान करने के लिए तैयार हो गए। रिछपाल के परिवार की अनुमति लेने के बाद उनके शरीर के अंगों को निकाल लिया गया। रिछपाल के बेटे कुलदीप सिंह ने बताया की पापा की किडनी और लीवर निकाले गए हैं । उन्हें दूसरे मरीजों को ट्रांसप्लांट कर दिया जाएगा । पापा जीते जी ही नहीं मौत के बाद भी लोगों की जान बचाने में सफल रहे ।

बेटा बोला-पापा मरकर भी जिंदा हैं...
बेटे कुलदीप सिंह ने बताया कि पापा ने 17 सालों तक 24 राजपूत रेजीमेंट में नायक के पद पर अपनी सेवाएं दी थी।  उनके शरीर से निकाली गई किडनी को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर सवाई मानसिंह अस्पताल भिजवाया गया है। जबकि लीवर को महात्मा गांधी अस्पताल जयपुर में हार्ट इंटरनल हार्ट केयर सेंटर में पहुंचाया गया है। जिससे 4 लोगों का जीवन बचाया जाना संभव हो गया है।
 

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