दिवाली पर इस शख्स को मां लक्ष्मी ने दिए थे दर्शन, देखते ही देखते करोड़पति बन गया, एक बेटा विधायक तक बना

कहते हैं दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा पूर्ण श्रद्धा भक्ति से की जाए तो हर मनोकामना पूरी होती है। राजस्थान के सीकर की एक ऐसी ही कहानी है। जहां एक ठाकुर वा राज पुरोहित को मां लक्ष्मी ने साक्षात दर्शन दिए थे। जिसके बाद युवक की किस्मत ऐसी पलटी की वह अमीर हो गया। यहां तक की एक सदस्य विधायक तक बना।

सीकर. दिवाली मां लक्ष्मी के स्वागत व पूजा अर्चना का दिन है। हर कोई चाहता है कि मां लक्ष्मी की कृपा उस पर पूरे साल बनी रहे। इसके लिए लोग एक महीने पहले से ही साफ- सफाई से लेकर मां के आगमन की हर छोटी- बड़ी तैयारी में जुट जाते हैं। आज हम आपको राजस्थान के सीकर जिले एक ठाकुर व राज पुरोहित से जुड़ी ऐसी दास्तां के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें मां लक्ष्मी के साक्षात दर्शन होने का जिक्र इतिहास की किताबों में भी है। इतिहाकारों के अनुसार मां लक्ष्मी के दर्शन के बाद ही पुरोहित वंश गरीबी से अमीरी तक पहुंचा।  परिवार के एक शख्स ने विधायक की कुर्सी भी हासिल की। घटना की सत्यता साबित करने के लिए सीकर और जयपुर जिले के ऐतिहासिक साक्ष्यों का भी हवाला दिया जाता है।

ठाकुर अलखां ने किया था आह्वान
सीकर का इतिहास लिखने वाले इतिहासकार महावीर पुरोहित बताते हैं कि लक्ष्मी दर्शन से जुड़ा इतिहास जिले के रघुनाथ गांव का है।,जिसे पहले खोह कहा जाता था। 354 साल पहले यहां अलखां टकणेत का शासन था। जिनके कुल पुरोहित हरिराम थे। एक दिवाली अलखां ने पुरोहित से बोहरा की दुकान से चावल और शक्कर लाने को कहा। लेकिन, पुरानी उधार चुकता नहीं होने पर दुकानदार ने उन्हें समान देने से मना कर दिया। इससे पुरोहित को ठाकुर पर गुस्सा आ गया। पुरोहित ने कहा कि अच्छा होता कि कहीं और जगह आसरा होता। कम से कम ये दिन तो नहीं देखना पड़ता। इस पर ठाकुर ने तांबे के टके पुरोहित को देकर घर पर तेल के दीये जलाने को कहा। इसके बाद पूरे गांव में  दिवाली नहीं मनाने की घोषणा कर खुद मां लक्ष्मी के ध्यान में बैठ गए। इतिहासकार पुरोहित के अनुसार इससे खुश होकर मां लक्ष्मी ठाकुर अलखां के सामने प्रकट हो गई और गढ़ का खजाना खोलने को कहा। पर ठाकुर ने उन्हें पुरोहित के घर जाने की बात कही। मां लक्ष्मी जब पुरोहित के घर पहुंची तो उन्होंने भी मां लक्ष्मी को वापस ठाकुर के पास यह कहकर भेज दिया कि ठाकुर संपन्न होंगे तो उनके घर तो समृद्धि अपने आप आ जाएगी। लेकिन, वापस आने पर ठाकुर ने लक्ष्मीजी को ब्राह्मण को दान करने की बात कहते हुए वापस लौटा दिया। इसके बाद  पुरोहित ने लक्ष्मीजी की प्रार्थना कर उन्हें स्थाई रूप से रहने की प्रार्थना की। इस पर मां लक्ष्मी ने जुए, नशे और वारांगनाओं से दूर रहने सरीखी शर्त के साथ स्थाई रूप से रहकर पुरोहित परिवार को धनी बना दिया।

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विधायक पद, जयपुर का कटला और लाखों की आय
इतिहासकार पुरोहित के अनुसार सीकर का पुरोहित परिवार इसके बाद ही धनी हुआ। पुरोहित हरिराम के बेटे बद्रीदास ने नवाब फतेहपुर के पोतदार बनकर तासर की जागीर पाई और दूसरे बेटे मोहनराम जयपुर में सांगानेर के बड़े व्यापारी बन गए। बाकी बेटे चंपा का बास व चौमूं में बस गए। इन्हीं के वंशज घासीराम मुरलीधर को महाराजा सवाई जयसिंह ने संवत 1784 में जयपुर की बड़ी चौपड़ के खंदे में जमीन दी। जो पुरोहित का कटला बना।  सीकर के दूसरे शासक राव शिवसिंह ने संवत 1790 में पुरोहित घासीराम को सुभाष चौक गढ़ के पास हवेली देकर बसाया। इससे पुरोहित सबसे बड़ी जागीर के मालिक हो गए। इसी परिवार के स्वरूप नारायण आगे चलकर सीकर के विधायक भी बने। 

सीकर व जयपुर में सबूत
इस घटना के सबूत भी जयपुर व सीकर में मौजूद बताए जाते हैं। इतिहासकार पुरोहित के अनुसार हरिराम पुरोहित के घर मां लक्ष्मी के आगमन की जानकारी लोहागर्ल में तपस्यालीन साधू महरवानजी ने जान ली थी। जिसके बाद वे भी हरिराम पुरोहित के घर पहुंच गए थे। मां लक्ष्मी के दर्शन कर वे बाद में निरंजनी साधू बन गए। इन्हीं महरवान बाबा की गद्दी जयपुर के पुरोहितजी के कटले में आज भी मौजूद है। उनका चौमूं पुरोहितान में समाधि स्थल भी अब तक मौजूद है। जहां हर साल माघ महीने में अब भी मेले का आयोजन होता है।
 

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