Sawan special: विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है बालेश्वर, कभी खाली नहीं होता अमृत कुंड

सावन के महीने में राजस्थान के ऐसे शिव मंदिरों के बारे में जानते है जो अपनी कुछ अनूठी विशेषता लिए हुए है। इसी कड़ी में बात करते है सीकर के बालेश्वर शिवलिंग की। यह विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग है इसका अमृत कुंड कभी खाली नहीं होता।

Sanjay Chaturvedi | Published : Jul 19, 2022 2:41 PM IST

सीकर. भगवान शिव का प्रिय सावन का महीना चल रहा है। घरों से लेकर शिवालयों तक में भगवान शिव की पूजा- अर्चना का दौर जारी है। इस बीच आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं जहां मौजूद शिवलिंग का विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग होने का दावा किया जाता है। ये मंदिर सीकर जिले के नीमकाथाना में अरावली की पहाडिय़ों पर स्थित बालेश्वर महादेव मंदिर है। जहां प्रतिष्ठित शिवलिंग का अब तक दूसरा छोर नहीं मिलने की बात सदियों से चली आ रही है। यही नहीं यहां मौजूद अमृत कुंड में पानी का खत्म नहीं होना भी एक बड़ा रहस्य है। 

खुदाई में नहीं मिला दूसरा छोर, शिलालेख कहता है ​इतिहास
बालेश्वर महादेव मंदिर आदिकाल का माना जाता है।  जिसका अब जीर्णोद्धार हो चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि जब मंदिर निर्माण का कार्य चल रहा था तो 20 फीट पहाड़ खोदने तक भी शिवलिंग का छोर नहीं मिला था। मान्यता है कि शिवलिंग का दूसरा छोर पहाड़ से नीचे धरती को भी चीर रहा है। जिसकी लंबाई का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। मन्दिर परिसर की उत्तरी भित्ती पर गणेश प्रतिमा के नीचे प्राकृत भाषा में लिखा एक शिलालेख प्राप्त होता है जो इस स्थान की प्राचीनता का इतिहास कहता है। लेकिन उसे अब तक सही ढंग से पढ़ा नहीं जा सका है।

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ज्येातिर्लिंग की मान्यता, शोध का विषय
बालेश्वर शिवलिंग के बारे में जनश्रुति है कि प्राचीन काल में जंगल में चरने वाली गायें खुद बालरूप शिव का दुग्धाभिषेक करती थी।  धाम के पुजारी लीलाराम योगी का कहना है कि ये शिवलिंग स्वत: प्रकट हुआ है। जिस पर शोध कर इसे ज्येातिर्लिंग घोषित किया जाना चाहिए। 

रहस्य है अमृत कुंड 
बालेश्वर धाम में स्थित अमृत कुंड भी चमत्कारिक है। जिसमें से कितना ही पानी निकालो वह खत्म नहीं होता। कुंड में पानी कहां से आता है इसका भी अब तक पता नहीं चल पाया है। हजारों श्रद्धालु मंदिर में जाकर अमृत कुंड के पानी से स्नान- पान करते हैं। 

विकास कार्य के लिए बजट जारी
बालेश्वर महादेव मंदिर के ऐतिहासिक व पौराणिक स्वरूप व महत्व को देखते हुए राज्य सरकार ने विकास कार्य शुरू करवाए हैं। इसके लिए सरकार ने बालेश्वर व बागेश्वर तीर्थ स्थल के सौंदर्यीकरण के लिए  5 करोड़ 88 लाख रुपए का बजट जारी किया है। जिससे सड़क निर्माण के अलावा मंदिर में विकास के विभिन्न कार्य करवाए जाएंगे।

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