सैनिक की सिस्टम से जंग, पट्टे के लिए कलेक्ट्रेट पर दिया धरना

Published : Apr 04, 2022, 09:27 PM IST
सैनिक की सिस्टम से जंग, पट्टे के लिए कलेक्ट्रेट पर दिया धरना

सार

देश की सुरक्षा के लिए सरहदों पर लड़ने वाले जवान रामनाथ कुमावत को देश के भीतर सिस्टम से लड़ना पड़ रहा है। वह झुंझुनूं कलेक्ट्रेट पर धरना दे रहे हैं।

झुंझुनूं। देश की सुरक्षा के लिए सरहदों पर लड़ने वाले जवान को देश के भीतर सिस्टम से लड़ना पड़ रहा है। राजस्थान के झुंझुनूं जिले में एक सैनिक ढाई साल से जमीन के पट्टे के लिए संघर्ष कर रहा है, लेकिन उसकी किसी भी स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हो रही। तंग आकर अब उसने सैनिक की यूनिफॉर्म में ही कलेक्ट्रेट के बाहर धरना शुरू कर दिया है। उसके मुताबिक काम पूरा नहीं होने तक धरना जारी रहेगा। नवलगढ़ तहसील के मैणांस गांव निवासी ये फौजी रामनाथ कुमावत हैं। जो भारतीय सेना में राजस्थान में ही नियुक्त हैं। 

ये है मामला
जवान रामनाथ ने बताया कि वह अपने खेत की जमीन में 400 वर्ग मीटर का आवासीय पट्टा बनवाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने नवलगढ़ तहसील में  23 दिसम्बर 2019 को आवेदन किया था। नियमानुसार सारे दस्तावेज पेश किए थे, लेकिन उसमें आपत्ति लगा दी गई। आपत्ति को भी पूरा कर दिया गया, लेकिन इसके बाद फिर से फाइल में कमी निकाल दी गई। जवान का कहना है कि एक के बाद एक उसकी फाइल कमी पूर्ति के बाद भी बार-बार  लौटा दी गई। पूछने पर माकूल जवाब भी नहीं मिला। ऐसे में दुखी होकर उसे कलेक्ट्रेट पर धरने का कदम उठाना पड़ा। 

दलाल को नहीं पकड़ा, इसलिए अटका काम
जवान रामनाथ का आरोप है कि उसका काम दलाल के जरिये अधिकारियों तक रिश्वत नहीं पहुंचने की वजह से अटक रहा है। रामनाथ का कहना है कि यदि वह किसी दलाल के जरिये फाइल लगवाता तो अब तक उसकी जमीन का पट्टा बन जाता। ऐसा नहीं करने पर जानबूझकर उसकी फाइल रोकी जा रही है। 

दो दिन का दिया अल्टीमेटम
फौजी रामनाथ ने जिला प्रशासन से दो दिन में उचित कार्यवाही करने की अपील की है। चेतावनी भी दी है कि यदि दो दिन में माकूल जवाब नहीं मिला तो वह सीधे राष्ट्रपति भवन जाएंगे। वहां मामले की शिकायत करेंगे।

रिश्वत से हो गया था काम
रामनाथ का ये भी कहना है कि उसने 2015 में 2500 वर्ग मीटर भूमि का भू-रूपांतरण कराया था। जो दलाल के जरिये करवाने पर आसानी से हो गया। अब जब वह सिस्टम से काम करना चाहते हैं तो 400 वर्ग गज जमीन का पट्टा भी रोका जा रहा है। बकौल रामनाथ उन्होंने अपनी यूनिट से भी सरकार के आलाधिकारियों को पत्र लिखवाया है। हालांकि अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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