एक टीचर ऐसा भी: जिसके रिटायरमेंट पर रोया पूरा गांव, हाथी पर बैठाकर गाजे-बाजे के साथ बारात निकाल दी विदाई

बता दें कि शिक्षक भंवरलाल शर्मा अरवड़ के सरकारी स्कूल में पिछले  20 साल से अपनी सेवाएं दे रहे थे। टीचर के प्रति ग्रामीणों में इतना प्रेम था कि पूरे गांव के बच्चे उनको अपना आर्दश मानते थे। उनसे गांव के हर बच्चे ने शिक्षा ली है। वह किताबी ज्ञान के साथ-साथ छात्र को जिंदगी में आने वाली परेशानियों से निपटने के बारे में भी बताते थे। 

भीलवाड़ा (राजस्थान). शिक्षक हर किसी की जिंदगी में बहुत मायने रखता है। क्योंकि वह बच्चों को शिक्षित करने के अलावा उन्हें जीवन जीने की कला और सही-गलत की पहचान बताता है। इसलिए छात्रों ही नहीं उनके परिजनों में भी गुरु के प्रति सम्मान रखते हैं। राजस्थान के भीलवाड़ा से ऐसी ही सम्मान की मिसाल पेश करने वाली तस्वीर सामने आई है। जहां टीचर रिटायरमेंट पर स्टूडेंट्स और गांववालों ने हाथी पर बिठाकर और उनकी बारात निकालकर अनूठे तरीके से विदाई दी।

शिक्षक की ऐसी विदाई देख हर आंख से निकले आंसू...
दरअसल, गुरु के प्रति सम्मान का यह अनोखा मामला भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा के अरवड़ गांव का है। जहां साल के आखिरी दिन यानि 31 दिसंबर को अरवड़ के सरकारी स्कूल में कार्यरत शिक्षक भंवरलाल शर्मा के रिटायरमेंट पर ग्रामीणों ने उनकी विदाई पर एक खास समारोह रखा था। ग्रामीणों और स्टूडेंट ने उन्हें ऐसी विदाई दी खुद शिक्षक की आंखों के अलावा हर शख्स की आंखें नम हो गईं। टीचर को हाथी पर बैठाकर पूरे गांव में गाजे-बाजे के साथ जुलूस निकाला गया और उनके नाम के नारे लगाए गए। सोशल मीडिया पर विदाई का यह वीडियो जमकर वायरल हो रहा है।

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20 साल से एक स्कूल में पढ़ा रहे ते ये टीचर
बता दें कि शिक्षक भंवरलाल शर्मा अरवड़ के सरकारी स्कूल में पिछले  20 साल से अपनी सेवाएं दे रहे थे। हालांकि 8 माह पूर्व इनका तबादला इसी स्कूल के अधीनस्थ वाले दूसरे स्कूल में हो गया था। लेकिन फिर भी वह रोजाना यहां छात्रों से मिलने के लिए जरुर आया करते थे। यहां के स्टूडेंट व ग्रामीणों में इनके प्रति काफी प्रेम था। इसलिए तो उनकी लिए ऐसी विदाई का आयोजन रखा गया। इस दौरान टीचर ने भी  अपने निजी फंड से स्टूडेंट को कम्प्यूटर शिक्षा के लिए दो लाख रुपए दिए।

पूरा गांव टीचर को मानता है आइकान
ग्रामीणों ने टीचर कि विदाई वाले दिन गांव में एक कवि सम्मेलन का आयोजन भी रखा था। जिसमें कई जाने-माने कवियों को बुलाया गया था। इसे पूरे फंक्शन में जो भी खर्चा आया वह गांववालों की तरफ से चंदा जोड़कर किया गया था। टीचर के प्रति ग्रामीणों में इतना प्रेम था कि पूरे गांव के बच्चे उनको अपना आर्दश मानते थे। उनसे गांव के हर बच्चे ने शिक्षा ली है। वह किताबी ज्ञान के साथ-साथ छात्र को जिंदगी में आने वाली परेशानियों से निपटने के बारे में भी बताते थे। 

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