8 साल के बच्चे ने बचाई मां की जान, 5 साल के भाई का भी रखा ख्याल, बहादुरी की कहानी जान दंग रह जाएंगे आप

8 साल के बच्चे ने वो कारनाम कर दिया जिसे बड़े-बड़े वक्त रहते नहीं कर पाते हैं। बच्चे ने अपनी मां की जान बचाई। मां अपने बच्चे की समझदारी को देखकर दंग हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 4, 2022 7:51 AM IST

रिलेशनशिप डेस्क. 30 साल की रेगन डीली (Regan Deeley) अपने बेटे की समझदारी और बहादुरी पर हैरान हैं। उन्हें यकीन नहीं हो रहा है कि उनका छोटा सा बच्चा उनके लिए फरिश्ता साबित होगा। अगर वक्त रहते उनका बच्चा एंबुलेंस नहीं बुलाता तो शायद वो इस दुनिया में नहीं रह पाती। चलिए छोटे बच्चे की बहादुरी की कहानी बताते हैं। 

क्या है पूरा मामला

यूके की रहने वाली रेगन डीली अपने 8 साल के बेटे ग्रेसन के साथ सुबह 3 बजे जग गई थी। इस दौरान उन्हें कुछ असहज सा महसूस हुआ। इसके बाद वो बेहोश होकर गिर गई। जब वो जगी तो खुद को अस्पताल में पाया। दरअसल, वक्त रहते उनके बच्चे ने एंबुलेंस को कॉल कर दिया था। जिसके बाद उन्हें आपातकालीन चिकित्सा मुहैया कराई गई।

रेगन ने बताया,'मैं अभी सुबह लगभग तीन बजे उठी और मुझे चक्कर आया। सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी तभी बेहोश होकर गिर पड़ी। मेरी बांह और आधा शरीर सीढ़ियों में फंस गया था। मेरे सिर पर काफी चोट आई थी।' 0इसके बाद मेरा बेटा मेरे पास आया और वो मेरी नब्ज और सांस जांच कर रहा था। वो मेरे हाथ और पैर को छू रहा था। वो पूछ रहा था मां आप इसे महसूस कर सकती हैं। इसके बाद उसने एंबुलेंस को फोन किया। उसने एंबुलेंस दल को पूरी जानकारी दी। 

पांच साल के भाई का रखा ख्याल

मेरे अस्पताल जाने के बाद ग्रेसन अपने छोटे भाई का भी ख्याल रखा। उन्होंने बताया कि मैं हमेशा अपने बच्चे को कहा कि अगर आपको किसी बी चीज की जरूर है तो आपको 999 पर कॉल करना चाहिए। लेकिन उसने वास्तव में 911 पर कॉल किया। वो केवल आठ साल का है। ऐसी स्थिति में बड़े भी सिचुएशन को हैंडल नहीं कर सकते हैं। लेकिन मेरे बेटे ने इतनी समझादारी और बहादुरी दिखाई। उसने वक्त रहते एंबुलेंस को कॉल किया।  पैरामेडिक की छात्रा रेगन अब घर पर हैं और ठीक हो रही हैं। उन्हें ज्यादा गंभीर चोट नहीं आई। शारीरिक रूप से भी वो ठीक हैं।

बच्चे को कुछ जरूरी चीजें याद कराएं

माता-पिता को चाहिए कि वो अपने बच्चे को हर सिचुएशन से हैंडल करने की शिक्षा बचपन से ही देना शुरू कर दें। इसके साथ कुछ आपातकालीन नंबर भी याद कराने चाहिए। घर का पता भी याद कराना चाहिए। अगर बच्चा कही गुम हो जाए तो वो फोन नंबर या फिर एड्रेस की जानकारी दे सकें। या फिर आपात स्थिति में पुलिस,एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड को कॉल कर पाए जब वो घर में अकेला हो तो।

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