सार
माता-पिता को जब ये पता चले कि उनके बच्चे का अफेयर चल रहा है तो वो गुस्से से भर जाते हैं। वो बच्चे के साथ सख्ती बरतते हैं। जिसकी वजह से टीनेजर गलत कदम उठा लेते हैं।आइए जानते हैं टीनेज लव और रिलेशनशिप को पेरेंट्स को कैसे डील करना चाहिए।
रिलेशनशिप डेस्क. 10वीं क्लास की छात्रा दिव्या (काल्पनिक नाम) फोन पर छुपकर बात कर रही थी। तब उसकी मां को भनक लग गई कि उसका अफेयर चल रहा है। दिव्या पर माता-पिता का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने उससे उसका फोन ले लिया और स्कूल पर रोक लगा दी। कुछ दिन बाद पता चला कि दिव्या घर से गायब हो गई है। अक्सर इस तरह की कहानी देखने-सुनने को मिलती है। माता-पिता को जब अपने बच्चे के रिलेशनशिप के बारे में पता चलता है तो वो अक्सर ऐसी गलती करते हैं। जिसकी वजह से नासमझी में बच्चे घर से फरार हो जाते हैं। यहां तक कि वो अपने पैरेंट्स के साथ कुछ गलत कर देते हैं।
आमतौर पर भारतीय माता-पिता को जब बच्चे के अफेयर का पता चलता है तो वो गुस्से में सिचुएशन को हैंडल करने की बजाय सख्ती करके इसे और खराब कर देते हैं। उन्हें ये पता होना चाहिए कि बच्चा बड़ा हो रहा है और उसे धमका कर, मारकर चीजें नहीं मनवा सकते हैं। बल्कि इसे शांति से डील करने की जरूरत होती है। चलिए बताते हैं कि माता-पिता को ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए-
-सबसे पहले माता-पिता को समझना चाहिए कि किशोरावस्था वह स्टेज होती है जिसमें बच्चों के शरीर में कई बदलाव होते हैं। उनमें हार्मोनल चेंजेज होते हैं, जिसकी वजह से वो किसी और के प्रति आकर्षित होते हैं। माता-पिता को चाहिए कि ऐसी स्थिति में बच्चो को प्यार से समझाएं।
-जब आप एक सख्त माता-पिता की तरह उनसे बात करेंगे तो वो चीजों को छुपाएंगे। अक्सर देखा जाता है कि जब उन्हें बच्चे के रिलेशनशिप के बारे में पता चलता है तो वो बच्चे को बोलते हैं-पढ़ने की उम्र में यही सब करने निकले हो... हिम्मत कैसे हुई ये सब करने की..परिवार का नाम बदनाम करना है...इसलिए फोन दिया था...परिवार पर कलंक लगाना है..जैसी बातें बोलकर उसे डराने की कोशिश करते हैं। यहां तक कि वो उनपर हाथ भी उठा देते हैं। ऐसे में बच्चा डर जाता है और वो चीजों को छुपाने लगता है। यहां तक कि वो गलत काम भी करना शुरू कर देता है।
-सबसे पहले माता-पिता को जब बच्चे के रिलेशनशिप के बारे में पता चले तो वो शांति से काम लें। अपने गुस्से पर कंट्रोल करें।
-बच्चे के शारीरिक बदलाव के बारे में सोचे और यह सोचें कि ये आकर्षण है। जो वक्त के साथ चला जाएगा।
-बच्चे से खुलकर बातचीत करें। क्योंकि प्यूबर्टी के दौरान बच्चे काफी इमोशनल होते हैं। उनसे दोस्त की तरह बात करें। उन्हें समझाएं कि एक ही परिवार के हैं। मिलकर हर चीज करेंगे।
-किशोरावस्था में बच्चे माता-पिता से अलग होकर आजादी को महसूस करना चाहते हैं। वो नई-नई चीजों का अनुभव करना चाहते हैं।दोस्त बनाना चाहते हैं। इसलिए इस अवस्था में माता-पिता को अपने बच्चे का दोस्त बन जाना चाहिए। उन्हें दोस्तों की तरह व्यवहार करना चाहिए।
-बच्चे की प्राइवेसी का ख्याल रखें।उनसे जबदस्ती किसी चीज को मत कराएं।
-लव और रिलेशनशिप पर खुलकर बात करें। देखा जाता है कि माता-पिता बच्चे के साथ इस टॉपिक पर बात नहीं करते हैं। लेकिन वक्त बदल गया है बच्चे के हाथ में मोबाइल है और अक्सर वो ऐसी चीजें देख लेते हैं जिसके बारे में जानते नहीं है। वो इसे अनुभव करने के लिए गलत रास्ते पर भी निकल पड़ते हैं। माता-पिता को बच्चे से इस मुद्दे पर खुलकर बात करना चाहिए।
-माता-पिता को बच्चे को लड़का और लड़की दोनों से दोस्ती करने की आजादी देनी चाहिए। उन्हें प्रेरित करना चाहिए। जिससे उनके अंदर आकर्षण का भाव खत्म हो जाए।
-पेरेंट्स को बच्चे के दोस्तों के बारे में भी जानना चाहिए। उन्हें वक्त-वक्त पर घर पर इंवाइट करना चाहिए। ताकि सबके नेचर के बारे में पता रहें।
-अगर आप बच्चे से बात करने में हिचकिचा रहे हो तो उसे काउंसलर के पास ले जा सकते हैं। वो बच्चे से बात करके उन्हें सही रास्ता दिखा सकते हैं।
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