ब्लैक डायरी: पापा के दोस्त मुझे अपनी गोद में बैठाते थे और फिर...वो पल याद कर कांप जाती हूं

बाल यौन शोषण के आपने कई मामले सुने और देखे होंगे। आज हम आपको एक ऐसी कहानी के बारे में बताते हैं जहां पापा अपनी बेटी के उस दर्द से अनजान था जो बेटी को उनके दोस्त ने गी दिया था।

Asianet News Hindi | Published : Aug 14, 2022 8:47 AM IST

रिलेशनशिप डेस्क : बाल यौन शोषण एक ऐसा गंभीर मुद्दा है जिससे ना जाने कितने बच्चों को की जिंदगी बर्बाद हो जाती है। कई बार तो उनका दर्द बाहर आ जाता है, लेकिन कई दफा तो इसे घर की चारदीवारी में ही दबा दिया जाता है। इसकी ना कोई रिपोर्ट होती है और ना ही मुलजिम को सजा मिल पाती है। आज ब्लैक डायरी में हम आपको ऐसी ही एक कहानी बताने जा रहे हैं, जहां पिता का पक्का दोस्त ही उसकी बेटी पर बुरी नजर रखता था और बेटा-बेटा बोल कर ना जाने क्या कुछ करता था।

मेरा नाम अंजली है (परिवर्तित नाम) है। मैं आठवीं क्लास की स्टूडेंट हूं। यह सब तब शुरू हुआ जब मेरी उम्र 12-13 साल थी। घर पर हमेशा पापा के दोस्त आया करते थे। जिन्हें में चॉकलेट वाले अंकल कहती थी, क्योंकि हमेशा वह मेरे लिए ढेर सारी चॉकलेट लाया करते थे। लेकिन मुझे क्या पता था कि चॉकलेट देने के बहाने जो मुझे अपनी गोद में बैठा लेते थे। वह मेरे साथ इतनी गंदी हरकत करेंगे। जब पापा मम्मी किसी काम से अंदर जाते तो वह मुझे अपने पास बुलाते और मुझे अपनी गोद में बैठा लेते, यहां वहां देखते फिर मेरी स्कर्ट के अंदर या मेरे टॉप के अंदर अपना हाथ डाल देते। मैंने उन्हें हटाने की बहुत कोशिश की, चिल्लाने की भी कोशिश की लेकिन वह यह कह कर मुझे डरा देते कि इसका अंजाम बुरा होगा। मैं डर के मारे सहम जाती और मम्मी पापा को कुछ नहीं बताती।

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एक बार जब पापा मम्मी किसी काम से घर से बाहर गए थे, तो अंकल अचानक घर पर आ गए और कहने लगे कि "मैं तुम्हारे लिए ढेर सारी चॉकलेट ले कर आया हूं दरवाजा खोलो।" मैंने दरवाजा खोला तो अंकल मेरे साथ जबरदस्ती करने लगे वह मुझे यहां वहां छूने लगे। मैं जोर से चिल्लाई और कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया। वह अंदर आने की कोशिश करते रहे, लेकिन मैंने दरवाजा नहीं खोला, तो वह थक हार कर वापस लौट गए। जब मम्मी पापा आए तो मैंने रोते हुए उन्हें सब कुछ बताया। इसके बाद अंकल का घर आना तो बंद हो गया लेकिन आज भी मुझे वह दिन अच्छी तरह से याद है और उसे सोच कर मुझे आज भी डर लगता है।

एक्सपर्ट्स की राय
बाल यौन शोषण के अधिकतर मामले हमारे घर से ही शुरू होते हैं, जिन्हें या तो हम अपने लेवल पर सुलझा लेते हैं या फिर इसे दबा देते हैं। लेकिन एक बच्चे के दिमाग पर इसका क्या असर पड़ता है इस बारे में आपको अंदाजा भी नहीं हो सकता है। ऐसे में जब भी आपका बच्चा आपको कुछ बताने की कोशिश करें तो उसे प्रॉपर काउंसिल करें। उसके मन की बात को समझे और उसके शख्स के खिलाफ एक्शन लें, जिसने ये घिनौना कृत्य किया हो। जरूरत पड़ने पर बच्चों को काउंसलिंग दिलवाएं, ताकि उनके दिमाग से यह डर निकल सके कि उनके साथ क्या हुआ। घर में एक हेल्दी माहौल बनाने की कोशिश करें और हमेशा घर में आने जाने वाले लोगों पर विशेष ध्यान रखें।

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