बढ़ती उम्र के बच्चों को संभाल पाना भी एक बड़ा टास्क होता है, क्योंकि इस दौरान उनमें कई सारे बदलाव आते हैं। ऐसे में उन्हें किस तरह से डील करना चाहिए आइए हम आपको बताते हैं।
रिलेशनशिप डेस्क : अक्सर टीनएज यानी कि 13,14 या 15 साल की उम्र में बच्चों में कई तरह के परिवर्तन देखने को मिलते हैं। इस उम्र में उनकी शरारते गुस्से और बहस में बदल जाती है, जिसे अमूमन लोग कहते हैं कि तुम्हारे लाड प्यार में ही बिगाड़ा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस उम्र में बच्चे क्यों इतने चिड़चिड़ी हो जाते हैं और उन्हें किस तरह से डील करना चाहिए। दरअसल, इस दौरान बच्चों में कई तरह के मानसिक और शारीरिक बदलाव होते है। जिससे कई बार उन्हें कुछ चीजें पसंद नहीं आती और वह इस पर बहस करने लगते हैं। ऐसे में मां-बाप को उन्हें किस तरह से समझाना चाहिए। आज हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे टिप्स जो आपको टीनएज बच्चों की पेरेंटिंग में मदद कर सकते हैं...
बच्चों की फीलिंग समझे
अक्सर ऐसा होता है कि टीनएज में बच्चों को यह लगता है कि मां-बाप उनकी फीलिंग की कदर नहीं करते हैं और उन्हें डांट डपट कर चुप करवा देते हैं। ऐसे में मां-बाप को बच्चों की फीलिंग को समझने के लिए थोड़ी और मेहनत करनी होगी। आप बच्चे से मां-बाप की तरह नहीं बल्कि एक दोस्त की तरह बात करें और उसकी फिलिंग्स को समझने की कोशिश करें। इससे बच्चा आपको अपने दिल की बात भी आसानी से बताएगा।
छोटी बातों को ज्यादा तूल ना दें
कई बार ऐसा होता है कि मां-बाप बच्चे के मुंह से कोई बात सुनकर अपना आपा खो देते हैं। ऐसी स्थिति में बातचीत को थोड़ी देर के लिए डाल दें। आप चाहे तो उस कमरे से चले जाएं और जब बच्चा शांत हो जाए तो उससे बात करने की कोशिश करें। अगर दोनों तरफ गुस्सा होगा तो इस झगड़े का अंत ही नहीं हो पाएगा, इसलिए आप बच्चे की हर बात या हर जिद को ज्यादा तूल ना दें।
बच्चों की जरूरतों को समझें
टीनएज में बच्चों की जरूरत अलग हो जाती हैं। वह अपने लुक्स और अपनी शारीरिक बनावट को लेकर बहुत ज्यादा कॉन्शियस हो जाते हैं। ऐसे में मां-बाप को यह समझने की जरूरत होती है कि बच्चे को किस तरह से डील करना चाहिए और उन्हें उनकी जरूरत की चीजें मुहैया करानी चाहिए। जरूरी नहीं कि आपका बच्चा टीनएज में हो तो आप उन्हें वहीं बच्चों वाली चीजें दें। आपको समय के साथ बदलाव करना जरूरी है।
बच्चा-बच्चा कहकर टीज ना करें
आपको यह समझने की जरूरत है कि आपका बच्चा अब बच्चा नहीं रहा है उसकी खुद की पर्सनैलिटी हो चुकी है। ऐसे में आप हर बात पर उसे यह ना कहे कि अभी तुम छोटे हो या अभी तुम बच्चे हो, क्योंकि वह बच्चा बड़ा हो रहा है और उसे अपनी एक पर्सनैलिटी बनानी है। ऐसे में उसे कंट्रोल करने या बार-बार बच्चा कहने से बचें।
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