आजकल बड़े शहरों की तो छोड़ें, छोटे शहरों में भी युवा लड़के-लड़कियां डेटिंग करने लगे हैं। इंटरनेट के बढ़ते प्रचलन के साथ ही ऑनलाइन डेटिंग का चलन भी तेजी से बढ़ा है।
न्यूयॉर्क। आजकल रिलेशनशिप में डेटिंग का चलन तेजी से बढ़ा है। यूरोप और अमेरिका में तो डेटिंग का चलन बहुत पुराना है, लेकिन भारत में भी इसकी शुरुआत दशकों पहले हो चुकी थी। अब इंटरनेट के आ जाने से ऑनलाइन डेटिंग का चलन भी तेजी से बढ़ा है और छोटे शहरों व कस्बों के टीनएजर्स भी डेटिंग करने लगे हैं। डेटिंग युवा लड़के-लड़कियों के मिलने का और करीब आने का ऐसा जरिया है, जिससे उनके रिलेशनशिप की शुरुआत होती है। आजकल काफी युवा डेटिंग के जरिए ही जीवनसाथी का चुनाव करते हैं। लेकिन कई बार डेटिंग महज मिलने-जुलने और कैजुअल रिलेशनशिप बनाने का जरिया बन कर रह जाता है। टीनएजर्स डेटिंग को लेकर हाल ही में एक रिसर्च स्टडी हुई है, जिससे पता चला है कि कई बार इसका असर नेगेटिव होता है।
कहां हुई यह रिसर्च स्टडी
यह रिसर्च स्टडी जॉर्जिया यूनिवर्सिटी में हुई, जिसमें 10वीं क्लास में पढ़ने वाले 494 स्टूडेंट्स को शामिल किया गया था। गौरतलब है कि अमेरिका में बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे डेटिंग करते हैं। रिसर्च के दौरान प्रतिभागियों को चार श्रेणी में बांटा गया। इनमें नियमित तौर पर डेटिंग करने वाले, कभी-कभार डेटिंग करने वाले, पहली बार डेट पर जाने वाले और कभी भी डेटिंग नहीं करने वालों की अलग-अलग कैटेगरी बनाई गई और फिर कुछ समय तक उनके व्यवहार का अध्ययन किया गया।
क्या पता चला स्टडी से
इस रिसर्च स्टडी के प्रमुख शोधकर्ता ऑर्थर ब्रुक डग्लस ने कहा कि शोध के परिणामों से पता चला है कि वैसे टीनएजर्स जिन्होंने कभी डेटिंग नहीं की, उनके व्यवहार में ज्यादा सकारात्मकता पाई गई। साथ ही, उनमें चिंता और डिप्रेशन के कोई लक्षण नहीं दिखे। वे उनकी तुलना में ज्यादा खुशहाल दिखे जो रेग्युलर डेटिंग करते हैं या कभी न कभी डेट पर जरूर जाते हैं। रिसर्चर्स ने अपने अध्ययन के दैरान पाया कि डेटिंग करने वाले टीनएजर्स में एंग्जाइटी के लक्षण पाए गए। साथ ही, यह देखा गया कि स्कूल में अपनी स्टडी पर वे ज्यादा फोकस नहीं कर पाते हैं। वहीं, नियमित डेटिंग करने वाले कुछ टीनएजर्स में डिप्रेशन के लक्षण भी देखने को मिले।
कहां पब्लिश हुई स्टडी
यह रिसर्च स्टडी स्कूल हेल्थ मैगजीन में पब्लिश की गई है। इसमें शामिल शोधकर्ताओं ने कहा है कि स्कूलों में डेटिंग को लेकर अवेयरनेस प्रोग्राम चलाए जाने चाहिए, ताकि टीनएजर्स इससे होने वाले नुकसान को समझ सकें और इससे बचें। उका कहना है कि पेरेंट्स को भी इसे लेकर जागरूक होना चाहिए कि टीनएज में डेटिंग के नकारात्मक असर होते हैं, जो चिंता और डिप्रेशन जैसी बीमारियों की वजह बन सकते हैं।