छठ व्रत में सूर्यदेव को चढ़ाई जाती हैं अनेक चीजें, इन चीजों का धार्मिक ही नहीं औषधीय महत्व भी है

Published : Oct 31, 2019, 08:54 AM IST
छठ व्रत में सूर्यदेव को चढ़ाई जाती हैं अनेक चीजें, इन चीजों का धार्मिक ही नहीं औषधीय महत्व भी है

सार

इस बार 2 नवंबर, शनिवार को छठ पर्व है। इस व्रत में सूर्यदेव को अनेक चीजें चढ़ाई जाती हैं। छठ में वही खाद्य वस्तुएं अर्पित होती हैं जो सूर्य किरणें अवशोषित कर प्रकृति हमें प्रदान करती है। सभी औषधीय गुणों से भरपूर हैं।

उज्जैन. छठ महज एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, इसमें विज्ञान भी निहित है। व्रती (व्रत करने वाला) शारीरिक और मानसिक रूप से इसके लिए तैयार होता है। जानिए इन चीजों से जुड़ा विज्ञान…

1. सुथनी
ये भूख नियंत्रित करता है। अल्सर, जलन व सूजन में कारगर। इसमें पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट तत्व होते हैं।

2. गागल
शरीर में पानी की कमी दूर करता है। मोटापा व खराब कोलेस्ट्रॉल घटाता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

3. सिंघाड़ा
दमा व बवासीर में फायदेमंद, कैल्शियम व आयोडीन युक्त। थायरॉयड में भी कारगर।

4. हल्दी
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। लीवर के लिए फायदेमंद तथा दाग व झुर्रियां मिटाने में सक्षम होती है।

5. मूली
इसमें भूख, पेट के कीड़े, पाइल्स और सूजन ठीक करने के औषधीय गुण होते हैं।

6. शरीफा
विटामिन-सी व ए पोटैशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, तांबा व फाइबर युक्त होता है।

इन चीजों के अलावा भी छठ पर्व में कई अन्य सामग्रियां सूर्यदेव को अर्पित की जाती हैं। ये सभी औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं। ये हैं वो चीजें...
1. चतुर्थी को लौकी और भात का सेवन करना शरीर को व्रत के अनुकूल तैयार करने की प्रक्रिया का हिस्सा है।
2. पंचमी को निर्जला व्रत के बाद गन्ने के रस व गुड़ से बनी खीर पर्याप्त ग्लूकोज की मात्रा सृजित करती है।
3. छठ में बनाए जाने वाले अधिकतर प्रसाद में कैल्शियम की भारी मात्रा मौजूद होती है।
4. भूखे रहने के दौरान अथवा उपवास की स्थिति में मानव शरीर नैचुरल कैल्शियम का ज्यादा उपभोग करता है।
5. प्रकृति में सबसे ज्यादा विटामिन-डी सूर्योदय और सूर्यास्त के समय होता है। अर्घ्य का समय भी यही है।
6. अदरक व गुड़ खाकर पर्व समाप्त किया जाता है। साइंस के अनुसार उपवास के बाद भारी भोजन हानिकारक है।
7. कार्तिक माह में प्रजनन शक्ति बढ़ती है और गर्भवती माताओं को विटामिन-डी नितांत आवश्यक है।

-पदमश्री और बीसी रॉय नेशनल अवार्ड से नवाजे गए जाने-माने हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. के.के. अग्रवाल के अनुसार

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