विजया एकादशी 24 फरवरी को, जानें पूजा विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त

Published : Feb 16, 2025, 10:05 AM ISTUpdated : Feb 24, 2025, 09:30 AM IST
vijya ekadashi 2025

सार

Vijaya Ekadashi 2025: फाल्गुन मास में विजया एकादशी का व्रत किया जाता है। इस व्रत का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों व पुराणों में लिखा है। इस बार ये व्रत फरवरी 2025 में किया जाएगा। 

Vijaya Ekadashi 2025 Details: धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर महीने की दोनों पक्षों (शुक्ल व कृष्ण) की एकादशी को व्रत किया जाता है। इस तरह एक साल में कुल 24 एकादशी होती है। इसी क्रम में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं। इस बार विजया एकादशी का व्रत फरवरी 2025 में किया जाएगा। मान्यता है कि विजया एकादशी व्रत से हर काम में विजय मिलती है। आगे जानिए कब है विजया एकादशी, पूजा विधि, मुहूर्त सहित पूरी डिटेल…

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कब है विजया एकादशी 2025? (Vijaya Ekadashi 2025 Kab Hai)

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 23 फरवरी, रविवार की दोपहर 01:55 से शुरू होगी जो 24 फरवरी की दोपहर 01:44 तक रहेगी। चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 24 फरवरी को होगा, इसलिए इसी दिन विजया एकादशी का व्रत किया जाएगा। इस दिन कईं शुभ योग भी बनेंगे, जिसके चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है।

विजया एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त (Vijaya Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)

- सुबह 09:43 से 11:09 तक
- दोपहर 02:00 से 05:26 तक
- शाम 04:52 से 06:18 तक
- शाम 06:18 से 07:42 तक

इस विधि से करें विजया एकादशी व्रत (Vijaya Ekadashi Puja Vidhi)

- विजया एकादशी से एक दिन पहले यानी 23 फरवरी, रविवार की रात सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- एकादशी तिथि की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल, चावल व फूल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- इसके बाद ऊपर बताए गए किसी शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की तैयारी कर लें। घर में किसी स्थान पर गंगा जल छिड़कर पवित्र करें।
- इस स्थान पर लकड़ी का बाजोट रखें। बाजोट पर सफेद कपड़ा बिछाकर इसके ऊपर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
- इसके बाद बाजोट पर शुद्ध घी का दीपक जलाएं। भगवान के चित्र पर माला पहनाएं और कुंकुम का तिलक भी लगाएं।
- चंदन, फूल, अबीर, गुलाल, रोली आदि चीजें देव प्रतिमा पर चढ़ाते रहें। मन ही मन में ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें।
- इसके बाद भगवान को भोग लगाएं, इसमें तुलसी के पत्ते जरूर डालें। पूजा के अंत में आरती करें और प्रसाद भक्तों में बांट दें।
- दिनभर कुछ खाएं-पीएं नहीं। अगर ऐसा संभव न हो तो एक समय फलाहार या दूध ले सकते हैं। दिन भर भगवान का नाम लेते रहें।
- रात में सोए नहीं, भजन-कीर्तन करते रहें। अगले दिन यानी 25 फरवरी, मंगलवार को व्रत का विधि-विधान से पारणा करें।


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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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