Achala Saptami 2023: 28 जनवरी को इस विधि से करें अचला सप्तमी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, योग, महत्व और कथा

Achala Saptami 2023: इस बार अचला सप्तमी का व्रत 28 जनवरी, शनिवार को किया जाएगा। इसे रथ सप्तमी भी कहते हैं। इस दिन सूर्यदेव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। धर्म ग्रंथों में भी इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है।

 

Manish Meharele | Published : Jan 27, 2023 8:16 AM IST

उज्जैन. माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला (Achala Saptami 2023) और रथ सप्तमी (Rath Saptami 2023) कहते हैं। इस दिन सूर्यदेव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। मान्यता है कि इसी तिथि पर सूर्यदेव 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे। इस बार ये तिथि 28 जनवरी, शनिवार को है। इस तिथि के बारे में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था। इस दिन व्रत करने से सुख-समृद्धि और खुशियां बनी रहती हैं। आगे जानिए इस व्रत की विधि व अन्य खास बातें…


ये शुभ योग बनेंगे इस दिन (Achala Saptami 2023 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल सप्तमी तिथि 28 जनवरी, शनिवार की सुबह 08:43 तक रहेगी। इस दिन अश्विनी नक्षत्र होने से सौम्य नाम का शुभ योग दिन भर रहेगा। इसके अलावा भरणी और साध्य योग भी इस दिन रहेंगे। इस दिन स्नान के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 05:25 से 07:12 तक रहेगा यानी लगभग 1 घंटा 46 मिनिट। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेंगे-
- सुबह 08:32 से 09:53 तक
- दोपहर 01:55 से 03:15 तक
- दोपहर 03:15 से शाम 04:36 तक


इस विधि से करें अचला सप्तमी व्रत (Achala Saptami 2023 Puja Vidhi)
- सुबह जल्दी उठकर शुभ मुहूर्त में नदी या सरोवर पर स्नान करें। तांबे के दीपक में तिल का तेल डालकर जलाएं और इस इसे सिर पर रखकर सूर्यदेव का ध्यान करें व ये मंत्र बोलें-
नमस्ते रुद्ररूपाय रसानाम्पतये नम:।
वरुणाय नमस्तेस्तु हरिवास नमोस्तु ते।।
यावज्जन्म कृतं पापं मया जन्मसु सप्तसु।
तन्मे रोगं च शोकं च माकरी हन्तु सप्तमी।
जननी सर्वभूतानां सप्तमी सप्तसप्तिके।
सर्वव्याधिहरे देवि नमस्ते रविमण्डले।।
- इसके बाद दीपक नदी में बहा दें और फूल, धूप, दीप, से भगवान सूर्य की पूजा करें और ये बोलें- स्वस्थानं गम्यताम। एक मटकी में गुड़ और घी सहित तिल का चूर्ण रखकर इसे लाल कपड़े से ढंककर ब्राह्मण को दान कर दें।

- इसके बाद अपने गुरु को कपड़े, तिल, गाय और दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। दिन भर कुछ खाए-पीएं नहीं। विशेष परिस्थिति में फलाहार कर सकते हैं। अगले दिन पारणा कर व्रत संपूर्ण करें।


अचला सप्तमी की कथा (Achala Saptami Katha)
किसी समय किसी राज्य में एक महिला रहती थी। उसने अपने जीवन में कभी कोई दान-पुण्य और व्रत आदि नहीं किया था। जब वह बूढ़ी हो गई तो उसे अपनी गलती पर पछतावा होने लगे। तब वह महिला वशिष्ठ मुनि के पास गई। उसने मुनि को अपनी समस्या बताई। मुनि ने उससे कहा कि “तुम माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी का व्रत करो। इससे तुम्हें सभी व्रतों का पुण्य फल प्राप्त होगा।” वृद्ध महिला ने मुनि द्वारा बताई गई तिथि पर अचला सप्तमी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग लोक की प्राप्ति हुई।



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