Annapurna Jayanti 2025: कौन हैं देवी अन्नपूर्णा? जानें पूजा विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त

Published : Dec 02, 2025, 02:04 PM IST
Annapurna Jayanti 2025

सार

Annapurna Jayanti 2025: देवी अन्नपूर्णा के बारे में हम सभी ने सुना है मगर ये किसका अवतार हैं और इनकी जयंती कब मनाई जाती है, इसके बारे में कम ही लोगों को पता है। आगे जानिए देवी अन्नपूर्णा से जुडी रोचक बातें।

Devi Annapurna Ki Katha: नाम से ही पता चलता है कि देवी अन्नपूर्णा अनाज की देवी हैं। इनकी कृपा से ही घर में धन-धान्य और भोजन आदि की पूर्ति होती है। मान्यता है कि देवी अन्नपूर्णा स्वयं माता पार्वती की ही एक रूप हैं। अन्नपूर्णा देवी से जुड़ी अनेक कथाएं धर्म ग्रंथों में मिलती है। हर साल अगहन मास की पूर्णिमा पर अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। इस बार अन्नपूर्णा जयंती 4 दिसंबर, गुरुवार को मनाई जाएगी। आगे जानिए अन्नपूर्णा जयंती की पूजा विधि, आरती सहित पूरी डिटेल…

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अन्नपूर्णा जयंती 2025 शुभ मुहूर्त

सुबह 10:57 से दोपहर 12:17 तक
दोपहर 11:55 से 12:38 तक
दोपहर 12:17 से 01:36 तक
दोपहर 01:36 से 02:56 तक
शाम 05:36 से 07:16 तक
शाम 07:16 से 08:56 तक

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इस विधि से करें देवी अन्नपूर्णा की पूजा

- 4 दिसंबर, गुरुवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल- चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। अन्नपूर्णा देवी का स्थान रसोई घर है। इसलिए रसोई घर की साफ-सफाई करें।
- खाना पकाने के स्थान के पास ही देवी अन्नपूर्णा का चित्र स्थापित करें। पहले देवी अन्नपूर्णा को कुमकुम से तिलक करें और चूल्हे पर स्वस्तिक बनाएं। देवी के चित्र पर माला चढ़ाएं और शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- इसके बाद अबीर, गुलाल, चावल आदि चीजें एक-एक करके देवी को चढ़ाते रहें। इसी तरह चूल्हे की भी पूजा करें। अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं। इसके बाद देवी अन्नपूर्णा की आरती करें।
- संभव हो तो गरीबों को अनाज जैसे- चावल, गेहूं या पका हुआ पका हुआ भोजन दान करें। इससे जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहेगी और आपके घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होगी।

मां अन्नपूर्णा की आरती ( Devi Annapurna Ki Aarti)

जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम ।
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक नाम ।
सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहाँ राम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
चूमहि चरण चतुर चतुरानन, चारु चक्रधर श्याम ।
चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर, शोभा लखहि ललाम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
देवि देव! दयनीय दशा में, दया-दया तब नाम ।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल, शरण रूप तब धाम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या, श्री क्लीं कमला काम ।
कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी, वर दे तू निष्काम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम।

Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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