Pradosh Vrat 2025: 2 या 3 दिसंबर, कब करें प्रदोष व्रत? जानें डेट, मुहूर्त व मंत्र सहित पूरी विधि

Published : Dec 01, 2025, 03:10 PM IST
Pradosh Vrat 2025

सार

Pradosh Vrat 2025: दिसंबर के पहले सप्ताह में प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाएगी और व्रत भी किया जाएगा। इस व्रत को करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

Pradosh Vrat December 2025: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महीने में 2 बार प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को करने का विधान है। ये व्रत जिस वार को होता है, उसी के अनुसार इसका नाम होता है जैसे इस बार 2 दिसंबर, मंगलवार को प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है, जिससे से मंगल प्रदोष कहलाएगा। मंगल प्रदोष का संयोग बहुत ही शुभ माना गया है। जानें सोम प्रदोष व्रत की विधि, मुहूर्त और मंत्र सहित पूरी डिटेल…

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2 दिसंबर 2025 प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

प्रदोष व्रत में पूरे दिन बिना खाए-पीए रहा जाता है और शाम की पूजा की जाती है। 2 दिसंबर को मंगल प्रदोष पर पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 24 मिनिट से रात 08 बजकर 07 मिनिट तक रहेगा। यानी भक्तों को पूजा के लिए पूरे 2 घंटे 43 मिनिट का समय मिलेगा। इस दिन वरियान, परिघ, अमृतसिद्धि और सर्वार्थसिद्धि नाम के 4 शुभ योग भी रहेंगे जिससे चलते इस व्रत का महत्व और भी अधिक हो जाएगा।

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मंगल प्रदोष व्रत-पूजा विधि

- 2 दिसंबर, मंगलवार प्रदोष होने से ये भौम प्रदोष कहलाएगा। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर कुछ खाए नहीं। यदि ऐसा संभव न हो तो फल या दूध ले सकते हैं।
- ऊपर बताए शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की पूरी तैयारी कर लें। मुहूर्त शुरू होने पर सबसे पहले शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, फिर दूध से अभिषेक करें। फिर से एक बार शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। दीपक लगाएं।
- शिवलिंग पर बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, जनेऊ, रोली, अबीर आदि चीजें अर्पित करें। पूजा करते समय ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। अंत में महादेव को भोग लगाएं और विधि-विधान से आरती करें।
- इस तरह प्रदोष व्रत की पूजा करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं। अगर जीवन में कोई संकट आने वाला हो तो वह भी इस व्रत के प्रभाव से दूर हो जाता है।

भगवान शिव की आरती (Lord shiva Aarti Lyrics in Hindi)

जय शिव ओंकारा प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
ओम जय शिव ओंकारा प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पंचांनन राजे स्वामी पंचांनन राजे
हंसानन गरुड़ासन हंसानन गरुड़ासन
वृषवाहन साजे ओम जय शिव ओंकारा
दो भुज चारु चतुर्भूज दश भुज ते सोहें स्वामी दश भुज ते सोहें
तीनों रूप निरखता तीनों रूप निरखता
त्रिभुवन जन मोहें ओम जय शिव ओंकारा
अक्षमाला बनमाला मुंडमालाधारी स्वामी मुंडमालाधारी
त्रिपुरारी धनसाली चंदन मृदमग चंदा
करमालाधारी ओम जय शिव ओंकारा
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघाम्बर अंगें स्वामी बाघाम्बर अंगें
सनकादिक ब्रह्मादिक ब्रह्मादिक सनकादिक
भूतादिक संगें ओम जय शिव ओंकारा
करम श्रेष्ठ कमड़ंलू चक्र त्रिशूल धरता स्वामी चक्र त्रिशूल धरता
जगकर्ता जगहर्ता जगकर्ता जगहर्ता
जगपालनकर्ता ओम जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका स्वामी जानत अविवेका
प्रणवाक्षर के मध्यत प्रणवाक्षर के मध्य
ये तीनों एका ओम जय शिव ओंकारा
त्रिगुण स्वामीजी की आरती जो कोई नर गावें स्वामी जो कोई जन गावें
कहत शिवानंद स्वामी कहत शिवानंद स्वामी
मनवांछित फल पावें ओम जय शिव ओंकारा
ओम जय शिव ओंकारा प्रभू जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
ओम जय शिव ओंकारा प्रभू हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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