
Bahula Chaturthi Ki Katha Hindi Mai: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि बहुत खास होती है क्योंकि इस दिन बहुला चतुर्थी का व्रत किया जाता है। अनेक धर्म ग्रंथों में इस व्रत का महत्व बताया गया है। मान्यता है कि जो भी महिला ये व्रत करती हैं, उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस व्रत में पहले श्रीगणेश की पूजा करने की परंपरा है। इसके बाद चंद्रमा उदय होने पर इसकी पूजा भी की जाती है। इस व्रत से जुड़ी एक रोचक कथा भी जो सभी को जरूर सुननी चाहिए। आगे पढ़ें बहुला चतुर्थी की कथा…
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- किसी गांव में एक ब्राह्मण रहता था। उसके पास अनेक गाएं थीं। उनमें से एक गाय का नाम बहुला था, बहुला अपने बछड़े से बहुत प्रेम करती थी। रोज शाम को बहुला का बछड़ा अपनी मां का इंतजार रहता, अगर देर हो वह व्याकुल हो जाता था। एक दिन बहुला जंगल में घास चरते हुए अपने झुंड से बिछड़ गई।
- बहुला जंगल में इधर-उधर भटकने लगी, उसे अपने बछड़े की याद सताने लगी। तभी बहुला का सामने एक भूखा शेर आ गया। शेर बहुला को खाना चाहता था लेकिन बहुला ने उससे कहा कि ‘मेरा बछड़ा बहुत भूखा है, उसे दूध पिलाकर मैं फिर जंगल में आ जाऊंगी। इस समय मुझे जाने दें।’
- बहुला की बात सुनकर शेर मान गया। बहुला जैसे-तैसे अपने घर पहुंची और बछड़े को दूध पिलाया और उसे बहुत प्रेम किया। इसके बाद अपना वचन निभाने के लिए बहुला फिर से जंगल में जाकर शेर के सामने खड़ी हो गई। अपने वचन के प्रति ईमानदार होने के चलते शेर ने बहुला को छोड़ दिया।
- बहुला पुन: खुशी-खुशी अपने घर लौट आई और प्रसन्नता से अपने बछड़े के साथ रहने लगी। जो भी बहुला चतुर्थी पर ये कथा सुनता है उसके घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। साथ ही साथ उसे योग्य संतान की प्राप्ति भी होती है, ऐसा धर्म ग्रंथों में बताया गया है।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।