Chaitra Navratri 2025 Day 5: देवी कात्यायनी की पूजा में कौन-सा मंत्र बोलें? जानें पूजा विधि, आरती और मुहूर्त

Published : Apr 02, 2025, 06:00 PM IST
Navratri-2025_Katyayani

सार

Chaitra Navratri 2025 Day 5: चैत्र नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है। देवी कात्यायनी की पूजा रावण भी करता था। इनकी पूजा से हर तरह की सिद्धि प्राप्त होती है। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने से देवी का ये नाम पड़ा। 

Chaitra Navratri 2025 Day 5: चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों में रोज देवी के एक अलग रूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि के छठे दिन की देवी कात्यायनी हैं। राक्षसों का राजा रावण भी देवी कात्यायनी का भक्त था। ये देवी ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं, इसलिए इनका नाम कात्यायनी हुआ। इस बार 3 अप्रैल, गुरुवार को इनकी पूजा की जाएगी। धर्म ग्रंथों में देवी कात्यायनी की रूप का वर्णन है, उसके अनुसार इनकी चार भुजाएं हैं, वाहन शेर है। देवी कात्यायनी की पूजा से जीवन की हर परेशानी दूर हो सकती है। आगे जानिए देवी कात्यायनी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती व कथा…

3 अप्रैल, गुरुवार 2025 के शुभ मुहूर्त

- सुबह 10:57 से दोपहर 12:30 तक
- दोपहर 12:05 से 12:54 तक
- दोपहर 12:30 से 02:02 तक
- दोपहर 02:02 से 03:34 तक

देवी कात्यायनी की पूजा विधि-मंत्र

- 3 अप्रैल, गुरुवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। ऊपर बताए गए किसी शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की पूरी तैयारी कर लें।
- शुभ मुहूर्त शुरू होने पर घर में किसी साफ स्थान पर देवी कात्यायनी की तस्वीर को लकड़ी के पटिए पर स्थापित करें। देवी को तिलक करें, फूल चढ़ाएं और दीपक लगाएं। 
- देवी कात्यायनी को लाल चुनरी, लाल फूल, लाल चूड़ी आदि चीजें भी अर्पित करें। मां कात्यायनी को शहद का भोग विशेष रूप से लगाया जाता है। इस मंत्र का जाप करें-
चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवद्यातिनी।।
- मंत्र जाप के बाद देवी कात्यायनी की आरती करें। देवी कात्यायनी का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में मिलता है। इनकी पूजा से हर तरह के भौतिक सुखों की प्राप्ति संभव है।

देवी कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे जय कात्यानी, जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा, वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है, यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी, कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते, हर मंदिर में भगत है कहते
कत्यानी रक्षक काया की, ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली, अपना नाम जपाने वाली
बृह्स्पतिवार को पूजा करिए, ध्यान कात्यानी का धरिये
हर संकट को दूर करेगी, भंडारे भरपूर करेगी
जो भी माँ को 'चमन' पुकारे, कात्यायनी सब कष्ट निवारे।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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