Chitragupta Maharaj Aarti: ओम जय चित्रगुप्त हरे... आरती के बिना अधूरी है भगवान चित्रगुप्त की पूजा

Published : Oct 22, 2025, 04:42 PM IST
Chitragupta Maharaj Aarti

सार

चित्रगुप्त पूजा के बाद आरती करना अत्यंत शुभ माना जाता है। आरती के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। ॐ जय चित्रगुप्त हरे... का जाप करने से सभी पापों का नाश होता है और ज्ञान, बुद्धि और न्याय की प्राप्ति होती है। भक्त को मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद…

Chitragupta Maharaj Aarti in Hindi: दिवाली के दो दिन बाद भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। यमराज के सहायक और सभी के कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त महाराज की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन सुबह शुभ मुहूर्त में भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। उनकी कथा सुनी जाती है। इसके बाद आरती की जाती है और भगवान चित्रगुप्त का आशीर्वाद लिया जाता है। कहा जाता है कि आरती के बिना चित्रगुप्त की पूजा अधूरी मानी जाती है। आइए आपको बताते हैं कि चित्रगुप्त पूजा के बाद कौन सी आरती पढ़नी चाहिए।

भगवान चित्रगुप्त जी की आरती (Chitragupta Maharaj Aarti in Hindi)

ॐ जय चित्रगुप्त हरे, स्वामीजय चित्रगुप्त हरे।

भक्तजनों के इच्छित, फल को पूर्ण करे॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

विघ्न विनाशक मंगलकर्ता, सन्तन सुखदायी।

भक्तन के प्रतिपालक, त्रिभुवन यशछायी॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,पीताम्बर राजै।

मातु इरावती, दक्षिणा, वामअंग साजै॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक, प्रभु अंतर्यामी।

सृष्टि सम्हारन, जन दुःखहारन, प्रकटभये स्वामी॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

कलम, दवात, शंख, पत्रिका, कर में अति सोहै।

वैजयन्ती वनमाला, त्रिभुवन मनमोहै॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

विश्व न्याय का कार्य सम्भाला, ब्रह्मा हर्षाये।

तैंतीस कोटि देवी देवता, तुम्हारे चरणन में धाये॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

नृप सुदास अरू भीष्म पितामह, याद तुम्हें कीन्हा।

वेग विलम्ब न कीन्हौं, इच्छित फल दीन्हा॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

दारा, सुत, भगिनी, सब अपने स्वास्थ के कर्ता।

जाऊँ कहाँ शरण में किसकी, तुम तज मैं भर्ता॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

बन्धु, पिता तुम स्वामी, शरण गहूं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

जो जन चित्रगुप्त जी की आरती, प्रेम सहित गावैं।

चौरासी से निश्चित छूटैं, इच्छित फल पावैं॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी, पाप पुण्य लिखते।

हम हैं शरण तिहारी, आस न दूजी करते॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे, स्वामीजय चित्रगुप्त हरे।

भक्तजनों के इच्छित, फल को पूर्ण करे॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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