Dev Uthani Ekadashi 2025: 1 या 2 नवंबर कब जागेंगे भगवान विष्णु, जानिए देवशयनी एकादशी तिथि और महत्व

Published : Oct 23, 2025, 12:20 PM IST
Devuthani Ekadashi 2025

सार

देवउठनी एकादशी 2025 को भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागकर सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं। इस दिन चार महीने का चातुर्मास समाप्त होता है और विवाह व गृहप्रवेश जैसे शुभ कार्य शुरू होते हैं। अगले दिन तुलसी विवाह मनाया जाता है।

Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी पर पाताल लोक में विश्राम करने गए भगवान विष्णु, देवउठनी एकादशी पर जागते हैं और पुनः सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं। इसलिए इसे देवोत्थान एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। यह चतुर्मास की समाप्ति का प्रतीक है और विवाह, सगाई, मुंडन और गृहप्रवेश जैसे शुभ कार्य पुनः शुरू होते हैं। इसलिए देवउठनी एकादशी को एक नए और शुभ समय की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। जानें इस वर्ष देवउठनी एकादशी कब है और तुलसी विवाह कब होगा?

2025 में देवउठनी एकादशी कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 1 नवंबर को सुबह 9:11 बजे शुरू होकर 2 नवंबर को सुबह 7:31 बजे समाप्त होगी। चूंकि एकादशी तिथि 1 नवंबर को पूरे दिन रहेगी, इसलिए देवउठनी एकादशी 1 नवंबर को मनाई जाएगी। देवउठनी एकादशी का व्रत और इस दिन भगवान विष्णु और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस वर्ष देवउठनी एकादशी 1 नवंबर को मनाई जाएगी।

अगले दिन तुलसी विवाह

देवउठनी एकादशी के अगले दिन द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु के अवतार भगवान शालिग्राम और देवी तुलसी का विवाह मनाया जाता है। इस वर्ष तुलसी विवाह 2 नवंबर को मनाया जाएगा।

देवउठनी एकादशी 2025, तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 1 नवंबर को सुबह 9:11 बजे से शुरू होकर 2 नवंबर को सुबह 7:31 बजे समाप्त होगी। अतः देवउठनी एकादशी 1 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी।

परणा (व्रत तोड़ने का) समय: 2 नवंबर 2025, दोपहर 1:11 बजे से 3:23 बजे तक।

देवउठनी एकादशी की पूजा विधि

एकादशी की सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें। फिर भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। आंगन या पूजा स्थल को साफ करें और गेरू और आटे से चौकोर रंगोली बनाएं। उस पर भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाना शुभ माना जाता है। एक पाटे पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उन्हें गंगाजल से स्नान कराएँ और पीला चंदन, अक्षत, पीले फूल, फल, मिठाई, तुलसी के पत्ते और पंचामृत अर्पित करें। धूपबत्ती और दीप जलाकर पूजा करें। शाम के समय पूजा स्थल पर गन्ने का एक छत्र बनाएं।

इस मंडप में भगवान विष्णु की मूर्ति और तुलसी का पौधा स्थापित करें। इस दौरान शंख और घंटी बजाकर भगवान विष्णु को योग निद्रा से जगाने का आह्वान करें। तुलसी और शालिग्राम का विवाह अनुष्ठान संपन्न होता है। तुलसी को दुपट्टा ओढ़ाकर और शालिग्राम जी को वस्त्र पहनाकर विवाह की रस्में पूरी की जाती हैं। एकादशी व्रत कथा पढ़ें या सुनें। इसके बाद भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की आरती करें। भगवान को मौसमी फल, बेर, सिंघाड़े और गन्ना अर्पित करें। इसके बाद जागरण करें और अगले दिन द्वादशी तिथि को शुभ मुहूर्त में व्रत खोलें।

देवउठनी एकादशी का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी (देवशयनी एकादशी) को क्षीर सागर में शयन करने चले जाते हैं और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जागते हैं। इस चार महीने की अवधि को चातुर्मास कहा जाता है।

ये भी पढ़ें- Chitragupta Maharaj Aarti: ओम जय चित्रगुप्त हरे... आरती के बिना अधूरी है भगवान चित्रगुप्त की पूजा

शुभ कार्यों का आरंभ

भगवान विष्णु के योगनिद्रा से जागते ही सृष्टि का कार्यभार उनके पास लौट आता है। इसलिए, इस दिन से विवाह, सगाई, गृहप्रवेश और नए कार्यों की शुरुआत जैसे सभी शुभ कार्य बिना किसी शुभ मुहूर्त के शुरू हो जाते हैं, हालाँकि पंचांगम (शुभ मुहूर्त) देखना सबसे अच्छा होता है।

तुलसी विवाह

इस दिन तुलसी और शालिग्राम (भगवान विष्णु का पाषाण रूप) का विवाह कराया जाता है। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय मानी जाती हैं और यह विवाह उनके जागने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

ये भी पढ़ें- Chhath Bhajan Lyrics: ‘पहिले पहिल हम कईनी छठी मईया व्रत तोहर’ छठ पूजा पर गाएं ये फेमस भजन-गीत

पापों से मुक्ति

ऐसा माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से व्रत और पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत सुख, समृद्धि और आरोग्य प्रदान करता है।

Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

PREV
Read more Articles on

Recommended Stories

Religious Story: भगवान विष्णु की कितनी पुत्रियां हैं, क्या हैं इनका नाम? जानें रोचक कथा
Annapurna Jayanti Vrat Katha: क्यों महादेव ने देवी अन्नपूर्णा से मांगी भिक्षा? पढ़ें रोचक कथा