दूर्वा गणपति व्रत 8 अगस्त को, जानें शुभ मुहूर्त से लेकर मंत्र तक की डिटेल

Durva Ganpati Vrat 2024: सावन शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को दूर्वा गणपति व्रत किया जाता है। इस व्रत का महत्व अनेक ग्रंथों में बताया गया है। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश को दूर्वा चढ़ाने का महत्व है।

 

Manish Meharele | Published : Aug 6, 2024 10:03 AM IST / Updated: Aug 08 2024, 08:17 AM IST

Durva Ganpati Vrat 2024 Kab Hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को दूर्वा गणपति व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा में दूर्वा विशेष रूप से चढ़ाई जाती है, इसलिए इसे दूर्वा गणपति व्रत कहते हैं। मान्यता है कि दूर्वा गणपति का व्रत करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। स्कंदपुराण, शिवपुराण और गणेश पुराण में भी इसका महत्व बताया गया है। आगे जानिए इस बार ये व्रत कब किया जाएगा, इसकी पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र आदि डिटेल…

कब करें दूर्वा गणपति व्रत 2024?
पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 07 अगस्त, बुधवार की रात 10:06 से 8 अगस्त, गुरुवार की रात 12:37 तक रहेगी। चूंकि 8 अगस्त को पूरे दिन चतुर्थी तिथि रहेगी इसलिए इसी दिन दूर्वा गणपति व्रत किया जाएगा। इस दिन शिव, सिद्ध और मातंग नाम के 3 शुभ योग बनेंगे, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है।

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दूर्वा गणपति 2024 पूजा के शुभ मुहूर्त
सुबह 10:55 से दोपहर 12:32 तक
दोपहर 12:06 से 12:58 तक
दोपहर 12:32 से 02:09 तक
दोपहर 02:09 से 03:46 तक

इस विधि से करें पूजा (Durva Ganpati Vrat 2022 Puja Vidhi)
- 8 अगस्त, गुरुवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल-चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें। ऊपर बताए गए किसी शुभ मुहूर्त में चौकी पर श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
- फिर ऊं गं गणपतयै नम: मंत्र बोलते हुए अबीर, गुलाल, कुंकुम, चावल, इत्र, सुपारी, जनेऊ, पचरंगी धागा, पान चढ़ाएं।
- इसके बाद 21 दूर्वा दल चढ़ाएं। गुड़ या बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग भी लगाएं। आरती करें और प्रसाद बांट दें।
- शाम को चंद्रमा उदय होने पर चंद्रमा को जल और फूल चढ़ाकर पूजा करें। इसके बाद ही आपका व्रत पूर्ण होगा।

गणेशजी की आरती (Ganesh ji Ki Aarti)
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥


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Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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