Hindu Tradition: भगवान के दर्शन के बाद कुछ देर मंदिर में क्यों बैठना चाहिए, कौन-सा मंत्र बोलना चाहिए?

Hindu Tradition: हिंदू धर्म में अनेक परंपराएं और मान्यताएं हैं। इन परंपराओं और मान्यताओं के पीछे कईं धार्मिक, वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक तथ्य छिपे होते हैं। ऐसी ही कुछ परंपराएं मंदिर में दर्शन करने से जुड़ी हैं।

 

Darshan Ke Baad Kuch Der Mandir Mai Kyo Baithna Chahiye: हिंदू धर्म में अनेक परंपराएं हैं। इन परंपराओं के पीछे धार्मिक, वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक कारण छिपे होते हैं, जिनके बारे में आमजन नहीं जानते। हिंदू धर्म में मंदिर में भगवान के दर्शन से जुड़ी अनेक परंपराएं हैं। ऐसी ही एक परंपरा ये भी है कि जब हम भगवान के दर्शन कर लें तो इसके बाद कुछ देर मंदिर में बैठें। इस परंपरा के पीछे क्या कारण है, इसके बारे में बहुत ही कम लोगों का पता है। आगे जानिए इस परंपरा से जुड़ा मनोवैज्ञानिक पक्ष…

दर्शन के बाद मंदिर में क्यों बैठें?
भगवान के दर्शन के बाद कुछ देर एकांत में मंदिर में ही बैठना चाहिए। इस दौरान भगवान का स्मरण करते रहें और मौन की अवस्था में रहें तो बेहतर रहेगा। इस परंपरा के पीछे छिपा कारण विज्ञान से जुड़ा है। विज्ञान भी ये मानता है कि मंदिर में सकारात्मक ऊर्जा काफी अधिक होती है। जब हम कुछ देर शांति से मंदिर में बैठते हैं तो ये पॉजिटिव एनर्जी हमारे शरीर में प्रवेश कर जाती है, जिससे हमें नई ऊर्जा का अहसास होता है।

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ये है मनोवैज्ञानिक कारण
जब हम मंदिर में बैठकर मन ही मन भगवान का स्मरण करते हैं तो हमारे कनेक्टिविटी सीधे परब्रह्म से होती है जो हमारे मनो-मस्तिष्क को सकारात्मकता से भर देती है। भगवान से हमारा ये कनेक्शन बहुत ही खास होता है। ऐसा करते समय हम मन की आंखों से भगवान के विग्रह के दर्शन भी कर पाते हैं। इसलिए कहते हैं कि दर्शन के बाद मंदिर में कुछ देर जरूर बैठना चाहिए।

मंदिर में बैठकर कौन-सा मंत्र बोलें?
जब हम मंदिर में बैठें तो ये मंत्र बोलना चाहिए-
अनायासेन मरणम् ,बिना देन्येन जीवनम्। देहान्त तव सानिध्यम्, देहि मे परमेश्वरम् ।।
अर्थ- "अनायासेन मरणम्" अर्थात बिना तकलीफ के हमारी मृत्यु हो। "बिना देन्येन जीवनम्" यानी हमारा जीवन कभी किसी आश्रित न हो। "देहांते तव सानिध्यम" अर्थात जब भी हमारी मृत्यु हो तब भगवान हमारे सम्मुख हो। "देहि में परमेशवरम्" यानी हे परमेश्वर ऐसा वरदान हमें देना।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

 

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