Holi Puja Vidhi & Shubh Muhurat 2023: 2 दिन रहेगी फाल्गुन पूर्णिमा, कब करें होलिका दहन? जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त भी

Published : Feb 27, 2023, 11:38 AM IST
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सार

Holi 2022 Puja Vidhi: धर्म ग्रंथों के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन किया जाता है। ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस बार ये तिथि 2 दिन रहेगी, जिसके चलते इस पर्व को लेकर असमंजस की स्थिति बन रही है। 

उज्जैन. इस बार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 1 नहीं बल्कि 2 दिन रहेगी, जिसके चलते होलिका दहन कब करें, इस बात पर संशय बना हुआ है। (Holi 2022 Puja Vidhi) हालांकि अधिकांश ज्योतिषी सूर्योदय काल में पूर्णिमा तिथि होने वाले दिन पर ही होलिका दहन को लेकर सहमत हैं। होलिका दहन के अगले दिन रंग-गुलाल से होली (धुरेड़ी) पर्व मनाया जाएगा। आगे जानिए होलिका दहन कब करें, उसका शुभ मुहूर्त (Holi 2022 Shubh Muhurat) और पूजा विधि के बारे में…

इस दिन करें होलिका दहन (Holika Dahan 2023 Date)
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 06 मार्च की शाम 04:17 से 07 मार्च की शाम 06:10 तक रहेगी। वैसे तो होलिका दहन शाम को किया जाता है लेकिन 6 मार्च की शाम 04:17 से ही भद्रा नक्षत्र भी लग जाएगा, जो अगले दिन यानी 7 मार्च की सुबह 05:16 तक रहेगा। ऐसी स्थिति में 6 मार्च को होलिका दहन करना शुभ नहीं रहेगा। 7 मार्च को सूर्योदय काल में पूर्णिमा तिथि रहेगी और शाम को भद्रा आदि दोष भी नहीं रहेगा, जिसके चलते इसी दिन होलिका दहन करना शुभ रहेगा।

ये है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त (Holika Dahan 2023 Shubh Muhurat)
ज्योतिषाचार्य पं. द्विवेदी के अनुसार, 7 मार्च, मंगलवार को होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त शाम 06:24 से रात 08:51 तक रहेगा यानी 02 घण्टे 27 मिनट तक। इस दिन रात 09:14 तक धृति नाम का शुभ योग रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस योग में नए काम की शुरूआत करना शुभ माना जाता है। साथ ही इस योग में भूमि पूजन, शिलान्यास और नया निर्माण कार्य आरंभ करने से सुख-समृद्धि आती है।

ये है होली पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
साबूत हल्दी, मूंग, बताशे, नारियल, बड़कुले (छोटे-छोटे उपलों की माला), रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, आदि।

इस विधि से करें होलिका पूजन (Holi 2023 puja Vidhi)
- 7 मार्च की शाम शुभ मुहूर्त में पूजा की थाली में ऊपर बताई गई चीजें रखें और साथ में एक पानी से भरा लोटा भी लें। होली पूजन के स्थान पर पहुंचकर पहले स्वयं पर और बाद पूजन सामग्री पर जल छिड़कें।
- इसके बाद हाथ में पानी, चावल, फूल एवं कुछ दक्षिणा (पैसे) लेकर नीचे लिखा मंत्र बोलें-
ऊं विष्णु: विष्णु: विष्णु: श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया अद्य दिवसे नल नाम संवत्सरे संवत् 2079 फाल्गुन मासे शुभे शुक्लपक्षे पूर्णिमायां शुभ तिथि मंगलवासरे--गौत्र (अपने गौत्र का नाम लें) उत्पन्ना--(अपना नाम बोलें) मम इह जन्मनि जन्मान्तरे वा सर्वपापक्षयपूर्वक दीर्घायुविपुलधनधान्यं शत्रुपराजय मम् दैहिक दैविक भौतिक त्रिविध ताप निवृत्यर्थं सदभीष्टसिद्धयर्थे प्रह्लादनृसिंहहोली इत्यादीनां पूजनमहं करिष्यामि।
- इसके बाद हाथ में फूल व चावल लेकर भगवान गणेश का ध्यान करें और ये मंत्र बोलें-ऊं गं गणपतये नम: आह्वानार्र्थे पंचोपचार गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।। अब ये फूल और चावल श्रीगणेश को समर्पित करते हुए पूजा स्थान पर रख दें।
- इसके बाद भगवान नृसिंह का ध्यान करते हुए चावल व फूल हाथ में लेकर ये मंत्र बोलें- ऊं नृसिंहाय नम: आह्वानार्थे पंचोपचार गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।। फूल और चावल पूजा स्थान पर चढ़ा दें।
- इसके बाद भक्त प्रह्लाद को याद करते हुए हाथ में चावल व फूल लें और ये मंत्र बोलकर इन्हें भी पूजा स्थान पर चढ़ा दें- ऊं प्रह्लादाय नम: आह्वानार्थे पंचोपचार गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।।
- अब नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए होली के सामने दोनों हाथ जोड़कर खड़े हो जाएं तथा अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए निवेदन करें- असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै: अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव:।।
- अंत में चावल, फूल, साबूत मूंग, साबूत हल्दी, नारियल एवं बड़कुले (भरभोलिए) होली के समीप छोड़ें। कच्चा सूत उस पर बांधें और फिर हाथ जोड़ते हुए होली की तीन, पांच या सात परिक्रमा करें। परिक्रमा के बाद लोटे में भरा पानी वहीं चढ़ा दें।
- इस तरह होलिका की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और हर काम में सफलता मिलने के योग भी बनते हैं।


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