Indira Ekadashi 2025: इंदिरा एकादशी व्रत कब, 17 या 18 सितंबर? जानें मंत्र, मुहूर्त सहित हर बात

Published : Sep 14, 2025, 09:30 AM IST

Indira Ekadashi 2025: श्राद्ध पक्ष में आने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं। धर्म ग्रंथों में इसका विशेष महत्व बताया गया है। इस व्रत व्रत-पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।

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कब है श्राद्ध पक्ष 2025 की एकादशी?

Indira Ekadashi 2025 Kab Hai: वैसे तो साल में 24 एकादशी होती है लेकिन इन सभी में श्राद्ध पक्ष में आने वाला एकादशी का विशेष महत्व है। इसे इंदिरा एकादशी कहते हैं। श्राद्ध पक्ष आने के कारण इसका विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। मान्यता है कि जो भी इंदिरा एकादशी पर विधि-विधान से व्रत-पूजा करता है, उसके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि लोगों को इस एकादशी का इंतजार रहता है। आगे जानिए इस बार कब है इंदिरा एकादशी, कैसे करें व्रत-पूजा आदि पूरी डिटेल…


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कब है इंदिरा एकादशी 2025?

पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 16 सितंबर, मंगलवार की रात 12 बजकर 22 मिनिट से शुरू होगा 17 सितंबर, बुधवार की रात 11 बजकर 39 मिनिट तक रहेगी। चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 17 सितंबर, बुधवार को होगा, इसलिए इसी दिन इंदिरा एकादशी का व्रत किया जाएगा।


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इंदिरा एकादशी 2025 शुभ योग और मुहूर्त

17 सितंबर, बुधवार को ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से 4 शुभ योग बन रहे हैं। ये शुभ योग हैं- गद, मातंग, शिव और परिघ इन चार शुभ योगों के चलते इस एकादशी का महत्व और भी बढ़ गया है। ये हैं शुभ मुहूर्त-
सुबह 06:17 से 07:48 तक
सुबह 07:48 से 09:19 तक
सुबह 10:50 से दोपहर 12:21 तक
दोपहर 03:23 से शाम 04:53 तक
शाम 04:53 से 06:24 तक

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इस विधि से करें इंदिरा एकादशी व्रत-पूजा

- इंदिरा एकादशी व्रत के एक दिन पहले यानी 16 सितंबर, मंगलवार से ही व्रत के नियमों का पालन करें। शाम को सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन भी।
- 17 सितंबर, बुधवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद हाथ में जल, चावल और फूल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। जैसा व्रत आप करना चाहें, वैसा ही संकल्प लें।
- जिस स्थान पर पूजा करनी है, उसकी अच्छी तरह साफ-सफाई करें। गोमूत्र या गंगा जल छिड़ककर उसे पवित्र करें। पूजा की सामग्री उस स्थान पर लाकर रख लें।
- शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें। भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र पूजा स्थान पर एक लकड़ी के पटिए यानी बाजोट के ऊपर स्थापित करें। भगवान को तिलक लगाएं।
- फूलों का माला पहनाएं। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। मौली, जनेऊ, अबीर, चावल, गुलाल आदि चीजें एक-एक कर चढ़ाएं। अपनी इच्छा अनुसार भगवान को भोग लगाएं।
- इस तरह पूजा करने के बाद भगवान की आरती करें और व्रत की कथा सुनें। रात को भजन-कीर्तन करें। अगली सुबह व्रत का पारणा करें और इसके बाद स्वयं भोजन करें।
- इस तरह जो व्यक्ति विधि-विधान से इंदिरा एकादशी का व्रत करता है, उसके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और उसके पितरों की आत्मा को शांति व मोक्ष मिलता है।

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भगवान विष्णु की आरती लिरिक्स हिंदी में

ऊं जय जगदीश हरे, स्वामी ऊं जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
माता-पिता तुम मेरे, स्वामी तुम मेरे।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
तुम करुणा के सागर, तुम सब के स्वामी।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा॥ ऊं जय जगदीश हरे॥


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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