Janmashtami Shri Krishna Aarti: कान्हा जी की इस आरती के बिना अधूरी रह जाएगी पूजा

Published : Aug 03, 2025, 06:09 PM ISTUpdated : Aug 03, 2025, 07:33 PM IST
Janmashtami Special

सार

Janmashtami Shri Krishna Aarti Lyrics: जन्माष्टमी में श्री कृष्ण की आरती का बहुत महत्व है। जानिए कैसे पढ़ी जाती है कान्हा जी की आरती। इसके बिना अधूरी है उनकी पूजा। 

Shri Krishna Aarti: 16 अगस्त के दिन धूमधाम के साथ जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाने वाला है। इस त्योहार को लेकर सभी भक्तों में अलग ही खुशी का होता है। जन्माष्टमी वाले दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है। 12 बजे के बाद पंचामृत से उन्हें स्नान करवाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण की आरती के बाद ही जन्माष्टमी की पूजा पूरी मानी जाती है। आइए जानते हैं कौन सी है वो आरती जो भगवान श्री कृष्ण को बेहद ही प्रिय है।

श्री कृष्ण की आरती

आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंयती माला, बजावै मुरली मधुर बाला

श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली

लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक

चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की…॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।

गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग ग्वालिन संग।

अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

चरण ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा।

स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस।

जटा के बीच,हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू

चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू

हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद।

टेर सुन दीन दुखारी की

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

आरती कुंजबिहारी की

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

कब है जन्माष्टमी का त्योहार?

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित प्रवीण द्विवेदी के मुताबिक चूंकि भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि का सूर्योदय 16 अगस्तो को होगा, इसीलिए इसी दिन श्री कृष्ण का पर्व जन्माष्टमी मनाया जाएगा।

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