Papankusha Ekadashi 2023 Kab Hai: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि बहुत खास होती है। इसे पापांकुशा एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत किया जाता है। जानें पापांकुशा एकादशी की डेट और पूरी डिटेल?
Papankusha Ekadashi 2023 Details: धर्म ग्रंथों में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। एक साल में कुल 24 एकादशी होती है, इन सभी का नाम, महत्व और कथा अलग-अलग है। इन सभी में आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इसे पापांकुशा एकादशी कहते हैं। जानें इस बार कब है पापांकुशा एकादशी, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि आदि की डिटेल…
कब है पापांकुशा एकादशी? (Kab Hai Papankusha Ekadashi 2023)
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 24 अक्टूबर, मंगलवार की दोपहर 03:14 से 25 अक्टूबर, बुधवार की दोपहर 12:32 तक रहेगी। इस तरह ये एकादशी 2 दिन रहेगी। वैष्णव मान्यता के अनुसार, जिस तिथि पर सूर्योदय हो, वो व्रत उसी दिन करना चाहिए, इस हिसाब ये पापांकुशा एकादशी का व्रत 25 अक्टूबर, बुधवार को किया जाएगा।
पापांकुशा एकादशी के शुभ योग और मुहूर्त (Papankusha Ekadashi 2023 Shubh Muhurat)
25 अक्टूबर 2023, दिन बुधवार को शतभिषा नक्षत्र होने से मानस और इसके बाद पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र होने से पद्म नाम के 2 शुभ योग बनेंगे। इनके अलावा इस दिन बुधादित्य राजोयग, वृद्धि और ध्रुव नाम के 3 अन्य योग भी रहेंगे। इस तरह पापांकुशा एकादशी पर 5 शुभ योगों का संयोग रहेगा। पूजा के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं-
- सुबह 10:46 से दोपहर 12:11 तक
- दोपहर 03:00 से शाम 04:25 तक
- शाम 04:25 से 05:49 तक
इस विधि से करें पापांकुशा एकादशी का व्रत (Papankusha Ekadashi 2023 Puja Vidhi)
- पापांकुशा एकादशी व्रत का पालन दशमी तिथि (24 अक्टूबर, मंगलवार) से ही करना चाहिए। दशमी तिथि की रात सात्विक भोजन करें। जमीन पर सोएं और ब्रह्मचर्य का पालन करें। मन में बुरे विचार भी न लाए।
- 25 अक्टूबर, बुधवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और व्रत-पूजा का संकल्प लें। ऊपर बताए गए शुभ मुहूर्त में से किसी एक में घर के किसी स्थान पर भगवान की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- सबसे पहले भगवान की प्रतिमा के सामने शुद्ध घी की दीपक लगाएं। प्रतिमा पर कुमुकम से तिलक करें। फूलों की माला पहनाएं। इसके बाद एक-एक करके अबीर, गुलाल, चावल, आदि चीजें चढ़ाते रहें।
- पूजा के बाद अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं। उसमें तुलसी के पत्ते जरूर रखें। अंत में आरती करें और प्रसाद सभी लोगों को बांट दें। दिन भर भगवान का ध्यान करते रहें। रात्रि में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- इस व्रत का समापन द्वादशी तिथि (26 अक्टूबर, गुरुवार) की सुबह ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद करें। ब्राह्मणों को दक्षिणा भी जरूर दें। पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
पापाकुंशा एकादशी की कथा (Papankusha Ekadashi ki Katha)
- किसी समय विंध्य पर्वत पर एक बहेलियां रहता था। जीवन भर उसने गलत काम ही किए थे। जब उसके जीवन का अंतिम समय आया तो यमदूत उसके पास आए और बोले ’कल तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन है, हम तुम्हें कल लेने आएंगे।’
- यमदूतों की बात सुनकर बहेलिया डर गया और महर्षि अंगिरा के पास जाकर बोला कि ‘मैंने अपने जीवन में कभी कोई अच्छा काम नहीं किया, हमेशा क्रूरतापूर्ण कार्य करते हुए ही जीवन जिया है। मुझे मोक्ष कैसे प्राप्त होगा।’
- तब महर्षि अंगिरा ने कहा कि ‘तुम पापांकुशा एकादशी है। तुम इस एकादशी पर विधि-विधान से व्रत करो। इससे तुम्हारे सभी पास नष्ट हो जाएंगे और तुम्हें मोक्ष की भी प्राप्ति हो जाएगी।
- अगले दिन उस बहेलिये ने पूरे विधि-विधान से और सच्चे मन से पापांकुशा एकादशी का व्रत किया। जब यमदूत उसके प्राण लेकर यमलोक गए तो वहां यमराज ने उसे मुक्ति प्रदान कर विष्णु लोक भेज दिया।
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