पापांकुशा एकादशी 2025 कब है, 2 या 3 अक्टूबर? जानें सही डेट, पूजा विधि, मंत्र और मुहूर्त

Published : Oct 01, 2025, 02:39 PM IST

पापांकुशा एकादशी 2025: विजयादशमी यानी दशहरे के ठीक अगले दिन पापांकुशा एकादशी का व्रत किया जाता है। इस एकादशी का महत्व अनेक पुराणों में बताया गया है। जानें 2025 में कब करें पापांकुशा एकादशी का व्रत?

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जानें पापांकुशा एकादशी से जुड़ी हर बात

Papankusha Ekadashi 2025 Kab Hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से सभी पापों का नाश हो जाता है। इस बार ये एकादशी तिथि 2 दिन रहेगी, जिसके चलते लोगों के मन में इसकी सही डेट को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति बन रही है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी से जानें 2025 में कब करें पापांकुशा एकादशी, इसकी पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त सहित पूरी डिटेल…


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कब करें पापांकुशा एकादशी? (Kab Hai Papankusha Ekadashi 2025)

पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 2 अक्टूबर, गुरुवार की शाम 07 बजकर 11 मिनिट से शुरू होगी, जो अगले दिन यानी 3 अक्टूबर, शुक्रवार की शाम 06 बजकर 33 मिनिट तक रहेगी। चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 3 अक्टूबर को होगा और पूरे दिन भी यही तिथि रहेगी, इसलिए इसी दिन पापांकुशा एकादशी का व्रत किया जाएगा।


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पापांकुशा एकादशी 2025 मुहूर्त

सुबह 06:23 से 07:51 तक
सुबह 07:51 से 09:19 तक
दोपहर 11:52 से 12:39 तक (अभिजीत मुहूर्त)
दोपहर 12:15 से 01:44 तक
शाम 04:40 से 06:08 तक

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पापांकुशा एकादशी व्रत-पूजा विधि

- पापांकुशा एकादशी के दिन यानी 3 अक्टूबर, शुक्रवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें यानी झूठ न बोलें, किसी पर क्रोध न करें।
- शुभ मुहूर्त से पहले घर का किसी हिस्से की सफाई करें और वहां लकड़ी का बाजोट रख उस पर भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति स्थापित करें। भगवान को कुमकुम से तिलक लगाएं और फूलों की माला पहनाएं।
- बाजोट पर शुद्ध घी का दीपक भी लगाएं। इसके बाद एक-एक करके अबीर, गुलाल, रोली, चावल, फूल, सुपारी, पान, जनेऊ, कलावा आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। भोग में तुलसी के पत्ते भी जरूर रखें।
- भगवान को अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं। पूजा करते समय मन ही मन में ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करते रहें। पूजा के अंत में विधि-विधान से आरती करें। रात में सोएं नहीं, भजन-कीर्तन करते रहें।
- अगले दिन यानी 4 अक्टूबर, शनिवार को ब्राह्मणों को भोजन करवाकर व्रत का पारण करें। इस तरह पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

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भगवान विष्णु की आरती लिरिक्स हिंदी में

ऊं जय जगदीश हरे, स्वामी ऊं जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
माता-पिता तुम मेरे, स्वामी तुम मेरे।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
तुम करुणा के सागर, तुम सब के स्वामी।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा॥ ऊं जय जगदीश हरे॥


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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